असमंजस में आर्थिक विकास?
असमंजस में आर्थिक विकास?
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भारत के आर्थिक मसलो में सबसे उच्चा स्थान रखने वाले केंद्रीय बैंक ने इस आर्थिक मंदी के डर से देश को कुछ तसल्ली है. बहुत देर से ही सही पर इस छोटी सी खुश खबर से भारत की प्रगति और विकास पर सवालिया चिन्ह तो अब नहीं लग पाएँगे. पर आर्थिक विकास असमंजस में बना रहेगा.

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने हाल ही में अपनी आर्थिक स्थिरता की बारहवी रिपोर्ट (फिनान्शिअल स्टेबिलिटी रिपोर्ट) और आर्थिक प्रगति की रिपोर्ट (रिपोर्ट ऑन ट्रेंड एंड र्पोग्रेस) एक कार्यक्रम में साझा की है. यह रिपोर्ट अर्थशास्त्रियो द्वारा अनुमानित रिपोर्ट्स को धूमिल कर देती है की भारत की विकास डर में रोड़े बाकि है.

भारत का बैंकिंग मूल्यांकन प्रदान करने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार भारत व्यापक आर्थिक हालातो के कारण स्वस्थ और स्थिर है. माना जाने लगा था कि गिरते शेयर बाजारों और स्वदेश लोट रहे विदेशी निवेशको के बीच आर्थिक स्थिति डामाडोल रहेगी. इसके विपरीत वित्तीय मंत्री अरुण जेठाली आर्थिक विकास का डंका बजा रहे थे. पर रिपोर्ट ने मध्यस्तता का मार्ग लेते हुए आर्थिक विकास को न ही ज्यादा ख़राब और न ही ज्यादा अच्छा बताया है.

हालाँकि बढती हुई यूवा आबादी के लिए 1 लाख नए रोज़गार पैदा करना अभी भी एक चिंता का विषय बना हुआ है. साथ ही चेतावनी में बेंको की गिर रही गैर निष्पादित परिसंपत्ति और ऋण की गुणवत्ता अभी भी परेशान कर रही है. अगर लम्बे समय के लिए वैश्विक कच्चे तेल के दामों में कमी नहीं होती तो भारत की आर्थिक स्थिति तो मट्टी पालित होना तय माना जा रहा था.
 
रिपोर्ट के मुताबिक व्यावासिक लोन की गुणवत्ता घटी है और 7 प्रतिशत तक पहुच गई है. वही अव्यवसिक परिसंपत्ति और ऋण की गुणवत्ता भी ख़राब ही हुई है. वैश्विक मंदी और बाजारों की अस्थिरता को इन अकडो में जोड़ दे तो हालत ठीक कहना भी मुश्किल होगा, चीन में आर्थिक मंदी के कारण चीनी निर्माताओ द्वारा भारतीय बाजारों में सस्ते दामों पर उत्पाद उपलब्ध होने पर भारतीय निर्माताओ के लिए मुसीबत बढ़ने ही वाली है. साथ ही भारतीय बाजारों में उपभोगताओ द्वारा खर्चे में कटोती से भारतीय निर्माताओ को खली हाथ ही बेठना पड़ेगा जिससे व्यावासिक गैर निष्पादित परिसंपत्ति और ऋण की गुणवत्ता में ओर कमी आएगी. यहाँ स्थिति भारतीय निर्माताओ के लिए निर्यात का मोका तब ही साबित होंगी जब उनके पास निवेश हो.
     
हालाँकि भारत के लिए यू.एस.ए और यू.के जेसे टेक्नोलॉजी निर्यातक देश एक सहारा ज़रूर देंगे. पर वैश्विक मांग में कटोती के कारण टेक्नोलॉजी इकाइयों से कब तक उमीद रखे. वही इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के मुख्य विशलेषक अनंदा भूमिका का भी मानना है कि बैंकिंग में यही स्थिति 17-18 तक चल सकती है. क्योकि गैर निष्पादित ऋण को बेचने पर भी बेंको के लिए सम्पति पुनःनिर्माण इतना जल्दी नहीं हो सकता. 

डॉ अशोक जैन 
MD  

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