जातिवाद या राजनीति किसने किया बच्चों को स्कूल से दूर?
जातिवाद या राजनीति किसने किया बच्चों को स्कूल से दूर?
Share:

बेंगलुरु : राजनेता और आम जन तो फिर भी बड़े लोग है लेकिन बच्चे तो अबोध बालक का रुप होते है। ऐसे में उन्हें इतनी समझ कहाँ कि वो धर्म-जाति व गोत्र को समझ पाँए। लेकिन बेंगलुरु के एक स्कूल में हुई घटना ने सबको अचंभे में डाल दिया है। कोलार के सरकारी स्कूल में करीब 100 बच्चों ने यह कहते हुए जाने से मना कर दिया है कि स्कूलों में परोसा जाने वाला मिड डे मील एक दलित महिला बनाती है, इसलिए वो स्कूल नही जाएँगे। ये बच्चे दलित महिला के हाथों बनाया हुआ भोजन नही खाना चाहते है। अब स्कूल में केवल 18 बच्चे ही बचे है।

इस घटना के बाद खाना बनाने वाली दलित महिला का कहना है कि जब से मैंने यहाँ जॉइन किया है तब से ही बच्चे मेरा दिया हुआ दूध और मेरा पकाया हुआ भोजन नही करते है। राधाम्मा रोते हुए कहती है कि मैं इन बच्चों से क्या कहुँ। इन्हें इनके परिजन ऐसा सीखा रहे है। मामले को सुलझाने के लिए राज्य स्तरीय शिक्षा विभाग के अधिकारी और जिला अधिकारी तक गांव वालों और बच्चों के परिजनों से मिल चुके है।

मीटिंग के बाद अधिकारी, बच्चे व उनके परिजन ने यहाँ मिड डे मील खाया लेकिन फिर से हाल वही। अब केवल 5 बच्चे ही भोजन करते है। इस पर स्कूल के कर्ता धर्ता वाई एम वेंकटाचलपथ्थी का कहना है कि यह जाति के आधार पर होने वाली भेदभाव नही है बल्कि पंचायत चुनाव के बाद फैली राजनीति है।

उनका कहना है कि ज्यादातर बच्चे एसटी-एससी से है फिर भी उन्होने ट्रांसफर करा लिया है। वही परिजन भी अपनी जिद्द पर अड़े है। उनका कहना है कि हम प्रइवेट स्कूल भेजेंगे लेकिन वहाँ अपने बच्चों को तब तक नही भेजेंगे जब तक उसे बदला नही जाएगा।

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -