इसे कहते हैं नर्क का दरवाजा, 47 साल से जारी है आग का कहर
इसे कहते हैं नर्क का दरवाजा, 47 साल से जारी है आग का कहर
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हम मनुष्य अक्सर स्वर्ग को लेकर कल्पना करते हैं कि वो कितना खूबसूरत होगा. गोल्डन गेट से एंट्री होकर परियां हमारा स्वागत करेंगी. हम लोग न जाने क्या-क्या सोचते रहते हैं ? वहीं जब हम नर्क को लेकर सोचते हैं तो क्या दिमाग में आता है अंधेरी सुरंग जिसमें आग निकल रही हो कुछ नकारात्मक सा. आइए आज कुछ ऐसी ही बात आपसे करते हैं...

सोशल मीडिया पर काफी समय से 'डॉर टू हेल' की तस्वीरें वायरल हो रही हैं और ये तस्वीरें तुर्कमेनिस्तान की बताई जा रही हैं, जिसमें एक गड्ढा जलता हुआ देखा जा सकता है. तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से 260 किलोमीटर की दूरी पर काराकुम रेगिस्तान के दरवेज गांव में मौजूद इस गड्ढे में 47 सालों से आग जारी है. 

जानकारी की माने तो इस जगह को दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार कहा जाता था और साल 1971 में सोवियत संघ के वैज्ञानिकों द्वारा मिथेन गैस को जमा करने के लिए यहां ड्रिलिंग की गई थी. जबकि एक दिन यहां विस्फोट हुआ था, जिसके बाद 'नर्क के दरवाजे' के नाम से यह मशहूर गड्ढा गैस क्रेटर बना. बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने हादसे के बाद मिथेन गैस को वायुमंडल में फैलने से रोकने के लिए यहां आग लगा दी थी और उन्हें लगा था कि ये आग एक दो हफ्ते बाद बंद हो जाएगी, हालांकि आग आज तक 47 सालों से लगातार जल रही है. 
 

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