दोस्तों बारिश के समय आपको अपने बचपन की याद तो आती होगी आप बचपन में बारिश के समय कागज बनाकर पानी में तैराते होंगे, आपको बारिश में नहाना पसंद होगा. बारिश जितना हमारे लिए जरुरी है उतनी ही पर्यावरण के लिए भी जरुरी है लेकिन कभी कभी बारिश इतना विकराल रूप ले लेती है कि सब तबाह हो जाता है.
बादल के फटने का कारण यह है की जब बादल ढेर सारा पानी लेकर जाते है तो और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है और वह फट पड़ते है और उसमे जमा पानी प्रथ्वी पर गिर जाता है और ऐसे में तबाही आना निश्चित है. भारत में देखा जाए तो हर साल कही न कही मानसून के समय नमी को लिए हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते है अतः हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है.
आसमान में जब कोई गर्म हवा बादल से टकराती है तब उसके फटने की उम्मीद बढ़ जाती है जब बादल फटते है तब मूसलाधार बारिश होती है और पानी 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गिरता है.
धरती पर आमतौर से बारिश गिरने की रफ़्तार 36 किलोमीटर प्रति घंटा होती है कुछ ही समय में दो सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है, और कुछ ही देर में आसमान से एक पूरी की पूरी नदी उतर आती है। ऐसा बादल में पानी जमा होने का कारण होता है.
आप को तो पता ही होगा की गर्मी के समय सूर्य का ताप इतना बढ़ जाता है की नदी, तलाबो से पानी सूख जाता है और कुंए का पानी भी सूख जाता है या कम हो जाता है, और गर्मी के समय समुद्र का पानी भी वाष्प बनकर ऊपर आसमान में जमा हो जाता है ये पानी आसमान में इतना ज्यादा इकठ्ठा हो जाता है की यही पानी मानसून का रूप ले लेता है और पृथ्वी पर बरस पड़ता है.
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