आषाढ़ अमावस्या में भूलकर भी न करें ये काम वरना हो सकता है भारी नुकसान
आषाढ़ अमावस्या में भूलकर भी न करें ये काम वरना हो सकता है भारी नुकसान
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भारतीय हिंदू पंचांग में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को आषाढ़ अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इस तिथि को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण मान्यता हासिल है और लोग इसे विभिन्न धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के साथ मनाते हैं।

महत्व और मान्यता
साधना और पुण्य: आषाढ़ अमावस्या को साधना और पुण्य का विशेष दिन माना जाता है। धार्मिक अनुयाय इस दिन तपस्या, मेधाध्ययन, दान, व्रत आदि करके अपने मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि का उद्देश्य रखते हैं।

पितृ तर्पण: आषाढ़ अमावस्या पितृ तर्पण का विशेष महत्व रखती है। लोग इस दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पितृ तर्पण करते हैं।

धार्मिक स्नान: आषाढ़ अमावस्या को धार्मिक स्नान करने का अवसर माना जाता है। लोग सरोवर और नदियों में स्नान करके पापों का नाश करते हैं और नये उत्साह और पवित्रता के साथ नया आरंभ करते हैं।

प्रारंभिक उत्सव
आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रारंभिक उत्सव की व्यवस्था की जाती है। इस दिन लोग धार्मिक कार्यक्रमों, संगीत सभाओं, कविता पाठ, सत्संग आदि में भाग लेते हैं। भक्तिभावना और आध्यात्मिकता का माहौल बनाए रखने के लिए धार्मिक ग्रंथों के पाठ और सुन्दरकांड का पाठ किया जाता है।

आराधना और पूजा
आषाढ़ अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। विशेष रूप से कामदेव की आराधना की जाती है, जो प्यार और आनंद के देवता माने जाते हैं। इसके अलावा, गंगा जल को आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

आषाढ़ अमावस्या धार्मिक और सामाजिक महत्व रखने वाली एक प्रमुख तिथि है। यह दिन भक्ति, पूजा, स्नान, और सेवा के माध्यम से मनुष्यों को आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा का आदान-प्रदान करता है। इस दिन को विशेष महत्व देकर हम अपनी आत्मा की शुद्धि, प्रगति, और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मानते हैं।

आषाढ़ अमावस्या: क्या करें और क्या न करें
आषाढ़ अमावस्या हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण तिथि है और इस दिन कुछ विशेष आचरण और नियमों का पालन किया जाता है। यहां हम आपको बताएंगे कि आषाढ़ अमावस्या के दिन क्या करें और क्या न करें:

करें:
व्रत रखें: आषाढ़ अमावस्या के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। यह व्रत आपकी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में मदद कर सकता है।

स्नान करें: इस दिन गंगा जल या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। इससे आपके पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

पितृ तर्पण करें: आपके पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए आषाढ़ अमावस्या पर पितृ तर्पण कर सकते हैं।

दान करें: आप इस दिन दान करके दूसरों की सेवा कर सकते हैं। यह दान आपके धार्मिक और कर्मिक पुण्य को बढ़ावा देता है।

पूजा और ध्यान करें: आप अपने इष्टदेव की पूजा और ध्यान करके आषाढ़ अमावस्या के दिन अपनी आध्यात्मिक और मानसिक विकास को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

न करें:
शुभ कार्य न करें: आपको आषाढ़ अमावस्या के दिन शुभ कार्यों का नियमित रूप से न करें, जैसे कि विवाह या गृह प्रवेश।

नये शुरुआत न करें: आषाढ़ अमावस्या को नए व्यापार, परियोजना या कोई अन्य महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत के लिए चुनना नहीं चाहिए। यह मान्यता है कि यह अशुभ हो सकता है।

प्रसिद्ध स्थानों पर जाने से बचें: आपको आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रसिद्ध यात्रा स्थलों पर जाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दिन उन्हें अधिक भीड़ और रुकावट हो सकती है।

आषाढ़ अमावस्या में किए जाने वाले टोटके
आषाढ़ अमावस्या हिंदू परंपरा में महत्वपूर्ण एक दिन है और इस दिन विशेष प्रकार के टोटके किए जाते हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे टोटकों के बारे में बताएंगे जो आषाढ़ अमावस्या में किए जा सकते हैं:

गंगाजल स्नान: आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगाजल में स्नान करने का विशेष महत्व है। इससे आपके पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।

पितृ तर्पण: आषाढ़ अमावस्या पर पितृ तर्पण करना शुभ माना जाता है। इससे आप अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देते हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

मन्त्र जाप: आषाढ़ अमावस्या के दिन विशेष मन्त्रों का जाप करने से आपको मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिल सकता है। आप अपने गुरुदेव या प्रिय देवी-देवताओं के मन्त्रों का जाप कर सकते हैं।

दान: आप आषाढ़ अमावस्या पर दान करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। आप धर्मिक संस्थानों या गरीबों को दान कर सकते हैं और इससे आपके कर्मिक बंधन कम हो सकते हैं।

मन की शुद्धि: आषाढ़ अमावस्या के दिन आपको अपने मन की शुद्धि का ध्यान रखना चाहिए। मन को शांत और स्थिर रखने के लिए ध्यान योग, मेधाध्ययन या मन की स्वाध्याय कर सकते हैं।

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