दिवाली के दिन इस दिशा में दिया रखकर करें पूजन, मिलेगा धन और ऐश्वर्य
दिवाली के दिन इस दिशा में दिया रखकर करें पूजन, मिलेगा धन और ऐश्वर्य
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आज के समय में सभी को धन-वैभव,ऐश्वर्य और सौभाग्य चाहिए होता है. वहीं इसके लिए दीपावली की रात्रि शुभ मानी जाती है क्योंकि इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन करने के बाद सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में घर,कार्यस्थल पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि श्रद्धा भक्ति के साथ हम सब दीपावली पूजन न केवल सच्चे मन से करें, बल्कि वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर सही तरीके से भी पूजा-आराधना करें. कहा जाता है इससे ध्यान भी केंद्रित होता है और पूजा का फल भी शीघ्र प्राप्त होता है. ऐसे में दीपावली पूजन की तैयारी करते समय दिशाओं,रंगों आदि का उचित समन्वय रखना बेहद जरूरी है. तो आइए आज हम आपको बताते हैं इसके पूजन के लिए कौन सी है सही दिशा.

सही दिशा में पूजन - कहा जाता है इस दिन पूजन कक्ष साफ-सुथरा रखना चाहिए और उसकी दीवारें हल्के पीले, गुलाबी, हरे जैसे आध्यात्मिक रंग की हों तो अच्छा है क्योंकि ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं. इसी के साथ काले, नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए और वास्तु विज्ञान के अनुसार मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा की दिशा उत्तर-पूर्व(ईशान) पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह कोण पूर्व एवं उत्तर दिशा के शुभ प्रभावों से युक्त होता है. वहीं घर के इसी क्षेत्र में सत्व ऊर्जा का प्रभाव शत-प्रतिशत माना जाता है. इसी के साथ पूजन करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और आपको बता दें कि उत्तर दिशा चूंकि धन का क्षेत्र है इसलिए यह क्षेत्र यक्ष साधना (कुबेर),लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है. इसी के साथ ध्यान रहे दीपावली पूजन में मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां अथवा चित्र आदि छवियाँ नई हों और चांदी की मूर्तियों को साफ़ करके पुनः पूजा के काम में लिया जा सकता है.

कहा जाता है पूजा कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसेखील-पताशा,सिन्दूर,गंगाजल,अक्षत-रोली,मोली,फल-मिठाई,पान-सुपारी,इलाइची आदि उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ फलों में वृद्धि करेगा. इसी के साथ ऐसी मान्यता है कि देवी लक्ष्मी को लाल रंग अत्यधिक प्रिय है और लाल रंग को वास्तु में भी शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है अतः माता को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं एवं पुष्प यथासंभव लाल रंग के होने चाहिए. इसी के साथ पूजा कक्ष के दरवाज़े पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं.

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