शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद
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दीपावली अर्थात अंधेरे से प्रकाश की ओर, सुख समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति और उन सभी आकांक्षाओं की पूर्ति, जो वर्ष भर बनी रहती है। वस्तुतः दीपोत्सव का उजास हम सभी के जीवन में खुशियां प्रवाहमान कर देता है और यही कारण है कि इस त्योहार को उत्साह और उल्लास से मनाने की परंपरा हमारे इस भारत देश में परिलक्षित होती है। चाहे ठेला चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट भरने वाला इंसान हो या फिर चाहे लाखों रूपये हर दिन कमाने वाला ही क्यों न हो, हर कोई धन संपदा की देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये लालायित बना रहता है तथा इसी निमित्त से पूजन अर्चन करता है।

लक्ष्मी की प्रसन्नता और आशीर्वाद की कामना को लेकर घर को चिरागों से रोशन करता है और फिर इस उम्मीद में दिन गुजरने की शुरूआत होती है कि आज नहीं तो कल धन की प्राप्ति होने लगेगी। खैर यह आस्था और विश्वास की बात है। देश में आज अराजकता का माहौल है, आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी हो गई है, अपराधियों के मंसूबे कामयाब होते नजर आ रहे है और देश की सीमाओं पर रक्षा करने वाले मुस्तैदी से जुटे होकर दुश्मन को जवाब दे रहे है, बावजूद इसके हमारे जवानों के शहीद होने का सिलसिला भी जारी है।

देश विकास के मार्ग पर अग्रसर है, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत की परिकल्पना साकार सिद्ध हो रही है, फिर भी कहीं न कहीं जो कमजोरियां परिलक्षित होती है, उन्हे दूर करने की जरूरत महसूस होती है। बाते की जायें, परंतु उन्हें असलि जामा पहनाया जाये, देश हित में जो जरूरी है उसे यर्थाथ के धरातल पर लाया जायें, परंतु विपक्षियों को समझाना मुश्किल है, इसलिये विरोध तो होना ही है, फिर भी प्रकाश के इस अवसर पर हमें संकल्प लेना होगा कि न जवानों के सिर कटने दें और न ही दुश्मनों को हावी होने देवे। छप्पन इंच का सीना एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन दिखाने की जरूरत है, क्योकि यह वर्तमान स्थितियों के मद्देनजर बहुत जरूरी हो गया है।

अनावश्यक झंझावतों में समय बर्बाद न हो, इस बात का विशेष तौर से ध्यान रखा जाये। महंगाई से लड़ रही जनता को, राहत दी जाये तथा उन सभी कार्यों को जमीनी हकीकत पर उतराने के लिये संकल्प लेने की आवश्यकता है, जिसकी तड़फ देखी जा रही है। तो आईए दीपोत्सव के अवसर पर संकल्प के दीप जलाकर देश में उजियारा फैलाये और चेहरे पर मुस्कान दें। ’ ’ शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपद शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपोजोतिर्नामोस्तुते’ हे माॅं लक्ष्मी, सभी का कल्याण करों, आरोग्यता दों, दया भाव प्रदान करों, ज्ञान प्रदान कीजिये, शत्रुओं का विनाश करों और हमारा हर दिन हर पल मंगलमय हो। 

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