मंदिर में महिला और बढ़ते विवाद
मंदिर में महिला और बढ़ते विवाद
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देश में मंदिरों में महिलाओं को प्रवेश और पूजन की अनुमति देने को लेकर विवाद गहरा रहा हैं। धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों और मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अपनी - अपनी बात बताई जा रही है। तो दूसरी ओर आमजन मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की बात करने लगा है। शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश का विवाद कुछ थम गया तो अब सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने की बात सर्वोच्च न्यायालय में पहुंची। अब इस मामले में विवाद होने लगा है।

न्यायालय का कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता और समानता दोनों अलग - अलग बातें हैं। धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति अपने अनुसार धर्म, पंथ और अन्य धार्मिक मान्यताओं को मान सकता है लेकिन समानता की बात की जाए तो मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आपत्ती ली जा रही है, जबकि न्यायालय का कहना है कि स्त्री और पुरूष में अंतर नहीं है। दोनों को ही समानरूप से मंदिर में जाने दिया जाना चाहिए। 

हालांकि माननीय न्यायालय ने इस मसले पर अपना निर्णय नहीं दिया है और विभिन्न पक्षकारों का पक्ष जानने के लिए सभी को समय दिया है। ऐसे में मंदिर प्रबंधन को भी समय दिया गया है लेकिन मंदिर प्रबंधन का यह मानना है कि हजारों वर्ष से चली आ रही परंपरा में महिलाओं द्वारा आधुनिक दौर में शुद्धिकरण का ध्यान नहीं रखा जाता ऐसे में मंदिर की पवित्रता भंग हो सकती है।

मगर मंदिर प्रबंधन के इस तरह के निर्णय पर महिलाओं द्वारा विरोध किया जा रहा है। महिलाओं का मानना है कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश मिलना चाहिए। जब सभी समान हैं तो महिलाओं को भी प्रवेश दिया जाना चाहिए। महिलाओं को प्रवेश देने से मंदिर की धार्मिक परंपरा भंग नहीं होगी और इसकी पवित्रता भी प्रभावित नहीं होगी।

दरअसल शास्त्रों में महिलाओं को भी विद्या प्राप्त करने, पूजन करने और शास्त्रों का अध्ययन करने का अधिकार दिया गया था। कई ऐसे पूजन हैं जो कि महिलाओं की उपस्थिति के बिना संभव नहीं होते हैं। ऐसे में महिलाओं का धार्मिक महत्व नकारा जाना उचित नहीं है। कई ऐसी महिलाऐं हैं जिन्होंने वैदिक काल में वेदों का अध्ययन किया था और वे शस्त्र व शास्त्र में पारंगत थीं।

ऐसे में सबरीमाला मंदिर की 1000 हजार वर्ष पुरानी परंपरा प्रभावित होने की बात ही नहीं उठती है। हालांकि मंदिर प्रबंधन द्वारा मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश और इससे मंदिर को लेकर मान्यताओं के प्रभावित होने की बात को माना जा सकता है लेकिन इसके लिए कोई और उपाय निकाला जाना अधिक उचित है। महिलाओं का मंदिर में प्रवेश रोकना इस समस्या का समाधान नहीं माना जा सकता। 

'लव गडकरी'

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