ई-कॉमर्स का बदला डिलीवरी मोड
ई-कॉमर्स का बदला डिलीवरी मोड
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नई दिल्ली : ई-कॉमर्स कम्पनियों ने दो साल पहले 3से 4 घंटे या 24 घंटे में डिलीवरी सर्विस की पेशकाश की थी.यह स्पेशल सर्विस ग्राहकों को मुफ्त में नहीं अतिरिक्त खर्च कर मिल रही है.ऑन लाइन प्रोडक्ट खरीदने पर ग्राहकों को सुबह या समान दिन में डिलीवरी लेने पर 100 से150 खर्च करना होंगे.इससे ई कॉमर्स कम्पनियों को राहत मिली है क्योंकि नार्मल डिलीवरी में उनकी कास्ट कम हो जाती है.

ई - कॉमर्स की प्रमुख कम्पनियों फ्लिपकार्ट , अमेजन , स्नेपडील आदि में अब वन डे डिलीवरी को ग्राहकों का अच्छा प्रतिसाद नहीं मिलने और लागत ज्यादा आने से इसका डिलीवरी मोड बदल गया है.अमेजन में ग्राहक के पिनकोड की लोकेशन के आधार पर डिलीवरी टाइम बताया है.जो दो से लेकर छह दिन तक है..रजिस्टर्ड पोस्ट से डिलीवर होने पर एक से दो हफ्ते का समय लगता है.जबकि अमेजन में फुल फिल्ड आइटम को सीधे सेलर्स द्वारा डिस्पेच किया जाता है.डिलीवरी स्पीड दो से लेकर दो हफ्ते के कारोबारी दिन हो सकते हैं.

अमेजन के वाइस प्रेजिडेंट (कस्टमर फुलफिलमेंट ) अखिल सक्सेना ने कहा कि हम बड़े पैमाने पर निवेश कर विश्व स्तरीय लाजिस्टिक सर्विस बनाने जा रहे है.वहीं फ्लिपकार्ट 250 करोड़ डॉलर का निवेश लॉजिस्टिक्स पर करेगी .उधर स्नेपडील ने लॉजिस्टिक्स कम्पनी गोजवास में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए दो करोड़ डॉलर खर्च किये.

विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि फ्री शिपिंग या सेम डे डिलीवरी पर कम्पनियों को काफी लागत लग रही है.जबकि निवेशकों कि तरफ से लाभ कमाने का दबाव बनाया जा रहा है. ऐसे में सेम डे या नेक्स्ट डे डिलीवरी का फैशन कम हो गया है. वैसे भी 60 फीसदी डिलीवरी ग्राउंड ट्रांसपोर्ट से हो रही है .फिर भी यदि कोई अतिरिक्त खर्च करने को तैयार है तो ई - कॉमर्स कम्पनियां एयर ट्रांसपोर्ट से भेजने को तैयार रहती है .

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