दिल्ली दंगा: उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई फिर टली, किसी दूसरे काम में व्यस्त थे उनके वकील कपिल सिब्बल
दिल्ली दंगा: उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई फिर टली, किसी दूसरे काम में व्यस्त थे उनके वकील कपिल सिब्बल
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के जमानत से इनकार को चुनौती देने वाली JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद की याचिका पर सुनवाई टाल दी. दरअसल, खालिद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ के समक्ष अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए स्थगन का अनुरोध किया था। सिब्बल ने अदालत को सूचित किया कि राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले ASG एस वी राजू भी उपलब्ध नहीं थे। खालिद पर 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित साजिश से संबंधित UAPA अधिनियम के तहत आरोप हैं।

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अगुवाई वाली पीठ ने नाराजगी व्यक्त की, लेकिन अनिच्छा से सुनवाई टाल दी। कपिल सिब्बल ने संविधान पीठ के मामले में अपनी व्यस्तता का जिक्र करते हुए और समय मांगा। पीठ ने खालिद को कैद में रखने पर जोर देते हुए अनुरोध खारिज कर दिया। मामला अब 17 जनवरी, 2023 को निर्धारित है, सिब्बल ने 24 जनवरी, 2023 का प्रस्ताव रखा है। वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने संबंधित मामले में लिखित दलीलें पेश करने की अनुमति का अनुरोध किया। 

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर, 2022 को खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि खालिद की हरकतें CAA विरोधी विरोध प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी को ध्यान में रखते हुए प्रथम दृष्टया UAPA के तहत आतंकवादी कृत्यों के रूप में योग्य हैं, जो बाद में हिंसक दंगों (फरवरी 2020) में बदल गए थे। उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य के साथ, फरवरी 2020 के दंगों की साजिश रचने के आरोप में UAPA और IPC के तहत आरोपों का सामना कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप 53 मौतें हुईं और 700 से अधिक घायल हुए थे। इन दंगों में उमर खालिद की चैट्स कोर्ट में पेश की गई थी, जिसमे महिलाओं से मिर्ची पाउडर, डंडे, पत्थर और अन्य हथियार साथ में लाने के लिए कहा गया था। कोर्ट में दावा किया गया है कि, शांतिपूर्ण प्रदर्शन की आड़ में उमर खालिद ने दंगों की साजिश रची थी। 

 

वहीं, शरजील इमाम ने मुस्लिम भीड़ जमा करके एक भड़काऊ भाषण दिया था, हालांकि उसके वकील का कहना है कि वो शांतिपूर्ण प्रदर्शन का समर्थन कर रहा था। हम यहाँ नीचे शरजील इमाम के भाषण के कुछ अंश दे रहे हैं, जिसे पढ़कर आप खुद ये अनुमान लगा सकते हैं कि, उसका भाषण भड़काऊ और देश विरोधी था या नहीं ? CAA विरोधी कार्यक्रम में शरजील ने कहा था कि 'अब समय आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि यदि वो हमारे हमदर्द हैं, तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हों। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट को हिंदुस्तान से परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।' इसका वीडियो आप You tube पर भी देख सकते हैं। 

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