नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 14 मार्च तक यह स्पष्ट करने को कहा कि जापानी दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो और टाटा संस के बीच हुए समझौते के विरोध का क्या कारण है.इस मसले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मुरलीधर ने यह निर्देश जारी किया है.
गौरतलब है कि डोकोमो और टाटा ने 28 फरवरी को एक संयुक्त आवदेन कोर्ट में दिया था. इन्होंने कोर्ट से दोनों कंपनियों के बीच हुए समझौते और लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन(एलसीआईए) द्वारा डोकोमो के पक्ष में सुनाए गए फैसले को लागू करने की मंजूरी मांगी थी. रिजर्व बैंक ने अदालत में इसका विरोध किया था.आरबीआई ने पहले निपटारा समझौते पर आपत्ति जताई, लेकिन सुनवाई के अंत में वकील सी मुकुंद ने कहा कि बैंकिंग नियामक इस मसले का समाधान करने का प्रयास करेगी.
बता दें कि अदालत ने आरबीआई से पूछा कि वह किस आधार पर दो पक्षों में हुई एक वैध मध्यस्थता के बीच आ सकता है, जबकि इस मामले में शामिल कंपनियां इसका विरोध नहीं कर रहीं. कोर्ट ने कहा कि आरबीआई इस मामले में पक्ष भी नहीं था. न्यायमूर्ति मुरलीधर ने कहा कि यह मामलाअंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों का है. यह आरबीआई का रुख है या सरकार उसे सुझाव दे रही है. इससे आपकी स्वायत्तता पर असर पड़ेगा.
कोर्ट ने पूछा कि क्या समझौते की शर्तों को पूरा नहीं करने की स्थिति में मुआवजे के भुगतान के लिए रिजर्व बैंक की विशेष अनुमति की जरूरत है. आप इस बात का हां या न में जवाब दें. यदि अनुमति की जरूरत है तो उस परिपत्र नियमन और नियम का उल्लेख करें, जिसके तहत इसकी अनुमति जरूरी है.यदि जरूरत नहीं है तो नहीं में जवाब दें अपना रुख स्पष्ट करें.आरबीआई को 14 मार्च को जवाब देना है.
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