शकूरबस्ती मामला : दिल्ली सरकार ने केंद्र से टकराव के लिए एक और नीति को किया पारित
शकूरबस्ती मामला : दिल्ली सरकार ने केंद्र से टकराव के लिए एक और नीति को किया पारित
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नई दिल्ली : दिल्ली के शकूरबस्ती इलाके में टूटी 500 झुग्गी झोपड़ियों के संबंध में जमकर राजनीति करने के बाद दिल्ली सरकार ने दिल्ली स्लम एण्ड रीहेबिलिटेशन एण्ड रीलोकेशन पॉलिसी 2015 को बुधवार को मंजूरी दी है। दूसरी ओर इससे संबंधित ड्राफ्ट पॉलिसी को मंजूरी के लिए केंद्र के शहरी विकास मंत्रालय के पास भेजी गई है। इस ड्राफ्ट के कारण पहले से दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच छिड़ी जंग के बीच एक और टकराव का रास्ता खुल सकता है।

यह फैसला सीएम अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई Delhi Urban Shelter Improvement Board की मीटिंग में लिया गया। इसके तहत 1 जनवरी 2006 से पहले के झुग्गी-झोपड़ियों को बिना पुनर्वास के नही हटाया जा सकता। 14 फरवरी 2015 के पहले से रहने वालों को वैकल्पिक आवास दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार के अधिकारी ने बताया कि करीब ढाई महीने पहले ही इसके ड्राफ्ट की मंजूरी के लिए इसे केंद्र सरकार को भेजा था। लेकिन केंद्र ने अब तक इसकी मंजूरी नही दी है। उधर दिल्ली उच्च न्यायलय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। कोर्ट का कहना है कि शकूरबस्ती में झोपड़ियाँ हटाने से पहले वहाँ के लोगो को आगाह क्यों नही किया गया। अदालत ने कहा कि पुलिस की ये हरकत छापा मारने जैसी है। पुलिस ने ऐसे लोगो के खिलाफ कार्रवाई की, जिनकी उन्हें रक्षा करनी चाहिए।

जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विभु बाखरु की पीठ ने कहा कि यह नागरिकों से व्यवहार करने का अच्छा तरीका नही है। बिना चेतावनी के 5000 झोपड़ियाँ तोड़ दी गई। पुलिस केवल रेलवे की रक्षा के लिए नही है बल्कि उसका काम जनता की रक्षा करना भी है। फिर चाहे वो झुग्गी में रह रहे हो या कॉलोनियों में। कोर्ट ने कहा कि जेसीबी का प्रयोग ही हिंसक हरकत है।

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