मदर टेरेसा की वो सच्चाई, जो आज तक सामने नहीं आई, आपकी आँखें खोल देंगे ये 7 तथ्य
मदर टेरेसा की वो सच्चाई, जो आज तक सामने नहीं आई, आपकी आँखें खोल देंगे ये 7 तथ्य
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मदर टेरेसा को वेटिकन सितंबर 2016 में संत घोषित कर दिया गया है। इससे पहले पोप ने उनके दूसरे चमत्कार को मान्यता दी थी। इस चमत्कार की खबर ब्राजील से सामने आई थी। बताया गया था कि वहां एक शख्स के सिर का ट्यूमर मदर टेरेसा की कृपा से ठीक हो गया था। कैथोलिक संप्रदाय में संत उस शख्स को माना जाता है, जिसने एक पवित्र जीवन जिया हो और जो अब स्वर्ग में पहुंच गया हो। मदर टेरेसा को गरीबों और बीमारों का मसीहा कहा जाता है, लेकिन उनकी जिंदगी के कुछ ऐसे पहलु भी रहे हैं, जिनके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते।

आज हम आपको बताएंगे ऐसी ही 7 बातों के बारे में :-

1 - अरूप चटर्जी की चर्चित किताब मदर टेरेसा : द फाइनल वरडिक्ट, मदर टेरेसा के काम पर कई सवाल खड़े करती है। पेशे से डॉक्टर और कुछ वक़्त तक मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी में काम कर चुके चटर्जी का दावा है कि मदर ने गरीबों के लिए किए गए अपने काम को बढ़ा-चढ़ाकर दर्शाया।  

2 - चटर्जी ने संस्था के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि वह कोलकाता में रोज हजारों लोगों को भोजन देती हैं। चटर्जी की किताब के अनुसार, संस्था के दो या तीन किचन रोज अधिक से अधिक 300 लोगों को ही खाना देते हैं, वह भी केवल मुख्य रूप से उन गरीब ईसाइयों को जिनके पास संगठन द्वारा जारी किया गया फूड कार्ड मौजूद होता है।

3- अपने एक लेख में वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु नागर ने लिखा है कि मदर टेरेसा के चैरिटी मिशनों का दौरा करने वाले डॉक्टरों ने पाया कि ये दरअसल जीवनदान देने से अधिक मृत्युदान देने के मिशन हैं। इन मिशनों में से अधिकांश में साफ-सफाई तक का सही इंतजाम नहीं था, वहां बीमार का जीना और स्वस्थ होना कठिन था, वहां अच्छी देख-रेख नहीं होती थी, भोजन और दर्द निवारक औषधियां तक वहां नहीं होती थीं।’

4 - अरूप चटर्जी के अनुसार, मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के केंद्रों में गरीबों का जानबूझकर सही उपचार नहीं किया जाता था। मदर टेरेसा पीड़ा को अच्छा मानती थीं। उनका मानना था कि पीड़ा आपको जीसस के नजदीक लाती है, जो मानवता के लिए सूली पर चढ़े थे। किन्तु जब वे खुद बीमार होती थीं तो उपचार करवाने देश-विदेश के महंगे अस्पतालों में चली जाती थीं। 

5-  1995 में हिचेंस ने एक पुस्तक भी लिखी। द मिशनरी पोजीशन : मदर टेरेसा इन थ्योरी एंड प्रैक्टिस नाम की इस पुस्तक में हिचेंस का कहना था कि मीडिया द्वारा मदर टेरेसा का मिथक गढ़ा गया है जबकि सच्चाई इसके उलट है। लेख का सार यह था कि गरीबों की सहायता करने से अधिक दिलचस्पी मदर टेरेसा की इसमें थी कि उनकी पीड़ा का इस्तेमाल करके रोमन कैथलिक चर्च के कट्टरपंथी सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार किया जाए। 

6-आखिर सांसें गिन रहे लोगों को बपतिस्मा देने के लिए भी मदर टेरेसा की काफी आलोचना हुई। बपतिस्मा यानी पवित्र जल छिड़ककर ईसाई धर्म में दीक्षा देने का कर्मकांड।  1992 में अमेरिका के कैलीफोर्निया में एक भाषण में मदर टेरेसा ने खुद कहा था कि, ‘हम उस आदमी से पूछते हैं, क्या तुम वह आशीर्वाद चाहते हो जिससे तुम्हारे पाप क्षमा हो जाएं औऱ तुम्हें भगवान मिल जाए? किसी ने कभी मना नहीं किया।

7- चटर्जी ने अपनी किताब में यह भी कहा गया है कि मदर टेरेसा को गरीबों की सहायता करने के लिए अकूत पैसा मिला किन्तु, उसका एक बड़ा हिस्सा उन्होंने खर्च ही नहीं किया. उन्होंने चार्ल्स कीटिंग से भी पैसा लिया जो अमेरिका में अपने घोटाले से खूब कुख्यात हुए थे.

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