किसी फिल्म की कहानी से कम नही है दत्तू के जीवन की कहानी !
किसी फिल्म की कहानी से कम नही है दत्तू के जीवन की कहानी !
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नई दिल्ली : मां बीमार है, अस्पताल में है और उनकी हालत ऐसी है की वो मुझे पहचानती भी नहीं. इस समय मुझे उनकी ही याद आ रही है. मुझे उनसे जल्दी मिलना है. मेरे पिताजी इस दुनिया में नही रहे, घर की जिम्मेदारी मेरे ही ऊपर है. यह शब्द थे रोइंग खिलाड़ी दत्तू बब्बन भोकानल के. ऐसे हालात में रोइंग खिलाड़ी दत्तू बब्बन भोकानल का फोकस सिर्फ खेल और घर के अलावा कही नही हो सकता. सेल्फी तो बिल्कुल नहीं.

बता दे कि दत्तू ने सिर्फ 4 साल पहले 2012 के अंत तैरना सीखा और रोइंग खेल में भी अपना हाथ आजमाना शुरू कर दिया. इससे पहले नासिक के तले गांव रूही में रहते हुए उन्हें पानी से डर लगता था. पहली बार जब नाव पर बैठे तो उन्हें डर लग रहा था कि कहीं वे पानी में न गिर जाएं या नाव पलट न जाए. रोइंग में आज उनकी तकनीक को देखकर दुनिया के कई दिग्गज हैरान रह गए

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. दत्तू भोकानल सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सके. लेकिन जब उन्होंने मीडिया को अपनी कहानी बताई, तो वे किसी सुपरहीरो से कम नजर आ रहे थे. अपने प्रदर्शन पर उन्होंने कहा, 'कोई भी खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो सकता. मैं आज की रेस में 500 मीटर तक सबसे आगे था, मैंने पूरी जान लगाई, लेकिन मुझे लगता है मुझे कम से कम 10 किलो और वजन बढ़ाने की जरूरत है.

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वही दत्तू के कोच राजपाल सिंह ने कहा कि अगर इस खिलाड़ी को ऐसे ही 4 साल और ट्रेनिंग मिलती रही और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ज्यादा से ज्यादा हिस्सा लेने का मौका मिलता रहा तो आप इन्हें टोक्यो ओलिंपिक में कारनामा करते हुए देख सकते हैं. अगर ट्रेनिंग नहीं हुई तो एक बेहतरीन टैलेंट खत्म हो जाएगा.

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