आज है दत्तात्रोय जयंती, यह है पौराणिक कहानी
आज है दत्तात्रोय जयंती, यह है पौराणिक कहानी
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आप सभी को बता दें कि हिन्दू मान्यताओं में कई भगवानो की पूजा की जाती है. ऐसे में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की काफी महत्व माना जाता है और इन्हे सबसे ऊपर रखा जाता है. ऐसे में आप सभी को बता दें कि तीनों लोक के इन स्वामियों का रूप भगवान दत्तात्रोय माने जाते हैं और इन्हें त्रिदेव भी कहते है. ऐसे में अगहन यानी मार्गशीष माह की पूर्णिमा को दत्तात्रोय जयंती मनाई जाती है जो इस साल आज यानी 22 दिसंबर को मनाई जा रही है.

24 धर्मगुरुओं से की थी शिक्षा ग्रहण - कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रोय ने 24 धर्मगुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी और दत्त सम्प्रदाय की शुरुआत भी दत्तात्रोय ने ही की थी. ऐसे में इनकी बालक रूप की पूजा की जाती है और इनके रूप की बात करें तो माना जाता है कि दत्तात्रोय भगवान के 6 हाथ और 3 सर हैं और तीनों ब्रह्मा,विष्णु और महेश के इस त्रिदेव रूप की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है.

ये है पौराणिक कहानी - पुराणों के अनुसार कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक बार नारद मुनी, देवी पार्वती , लक्ष्मी और सावित्री को अनुसूया के पतिव्रता होने का बखान कर रहे होते हैं. इसे सुनकर सभी माताएं अपने पतिओं से कहती हैं कि वह अनुसूया की परीक्षा लें. ब्रह्मा,विष्णू, महेश इसके बाद साधू का रूप लेकर माता अनुसूया की कुटिया पर गए. जब अनुसूया ने एक थाली में खाना परस कर लायीं तो तीनों देवता ने उनकी परीक्षा ली. इस परीक्षा के चलते ही माता अनुसूया ने दिव्य पानी छिड़का और तीनों ही देवता बालक रूप में आ गए.

इस तरह माता ने अपनी परीक्षा भी पूरी की और तीनों देवाताओं का आशीर्वाद भी पाया. बताया जाता है कि अनुसूया ने इन तीनों देवता के बाल रूप को स्तनपान भी करवाया था. लोग इनके इस रूप की पूजा करते हैं. बाद में जब तीनों माताएं अपनें पतियों को ढूंढते हुए आयीं तो अनुसूया ने अपने पुत्र रूपी दत्तत्रोय पर जल छिड़कर उन्हें वापिस उनके मूल स्वरूप पर लाती हैं.

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