पोकेमोन से भी ज़्यादा खतरनाक सेल्फी का जुनून
पोकेमोन से भी ज़्यादा खतरनाक सेल्फी का जुनून
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आखिरकार एक बार फिर सेल्फी के जुनून में मौत हो गई। युवाओं में सेल्फी का चलन बहुत है। सेल्फी लेते समय युवा अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हैं। जिस तरह से मुंबई के समुद्र में सेल्फी लेने के दौरान युवा जान जोखिम में डालते हैं वैसे ही भोपाल में भी एक युवा एथलिट ने अपनी जान जोखिम में डाली। ताज्जुब की बात यह है कि बारिश के मौसम में यह हादसा हो गया। बारिश का वह मौसम जब जलस्त्रोतों के आसपास काफी सुरक्षा व्यवस्था रहती है वहां इस तरह का हादसा हो गया।

दूसरी ओर युवा मन की चंचलता एक बार फिर सामने आई जो सेल्फी क्रेज में अपने जीवन को खतरे में डालता है। आज का युवा तकनीकी तौर पर काफी सुविधाभोगी हो गया है। वह कई आधुनिक यंत्रों के उपयोग को समझने लगा है लेकिन उसके प्रयोग के साथ वह दूसरी बातों को ध्यान में नहीं रखता। जिस तरह से युवाओं द्वारा चलती ट्रेन के साथ सेल्फी लेने का प्रयास किया जा चुका है वह सेल्फी लेने के जुनून से उपजने वाले खतरों को दर्शाता है।

मोबाईल और उसके प्रयोगों को लेकर युवाओं को जागरूक किया जाना जरूरी है। सेल्फी लेने का यह जुनून तो पोकेमोन गो के खेल से कहीं अधिक खतरनाक है। युवाओं को यह समझना होगा कि उनका जीवन किसी और के लिए भी बेहद आवश्यक है। ऐसे में वे जान का खतरा न लें। थोड़े समय का मौज जीवन के लिए किसी तरह की सजा न बन जाए। दूसरी ओर जलस्त्रोतों के किनारों पर राहत व बचाव के आवश्यक इंतजाम किए जाने की जरूरी है। जिससे समय रहते किसी का जीवन बचाया जा सके।

'लव गडकरी'

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