लखनऊ : उतर प्रदेश में अब दलितों की जमीन बेचे जाने पर किसी प्रकार की पाबंदी नही है, वो जिसे चाहे अपनी जमीन बेच सकते है। उतर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने इससे जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसे लाने का मकसद ब्रिटिशकाल के पहले से चले आ रहे राजस्व कानून में बदलाव लाना है। राजभवन के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि राज्यपाल ने राजस्व संहिता अध्यादेश 2015 को मंजूरी दे दी है।
इस संसोधन के अनुसार दलित अब अपनी जमीन गैर-दलितों को बेच सकेंगे। यह अध्यादेश तब भी लागू होगी जब उनके पास साढ़े तीन एकड़ से भी कम जमीन होगी। इससे पहले इसके लिए जिला अधिकारी से परमिशन लेनी होती थी, लेकिन बहुजन समाजवादी पार्टी ने इस अध्यादेश की आलोचना की है। बसपा ने सतासीन समाजवादी पार्टी पर ये इल्जाम लगाया है कि वो गरीब दलितों को लूट रही है।
उनके पास जो भी जमीन बची है, उसे वो बिकवाने में लगे है। लेकिन इन सबके बावजूद सपा इस फैसले को मील का पत्थर कह रही है। इसके पीछे सपा का तुक ये है कि इस अध्यादेश से ऐसे दलितों को फायदा होगा, जो किसी संकट की घड़ी में जमीन बेचने पर मजबूर हो जाते है। राज्य की सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को पेश करेगी। उतर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2017 में होने वाले है, इसे देखते हुए बसपा इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
बसपा नेताओं ने इसे दलितों को कमजोर बनाने की साजिश कहा है। बसपा नेताओं का आरोप है कि अध्यादेश अपर महाधिवक्ता आर बी यादव की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट का नतीजा है। कोई जमीनी सर्वे नहीं कराया गया है। इसके एक सप्ताह पहले ही यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने इस संबंध में राज्यपाल से मुलाकात की थी।