नोटबन्दी के  दौरान तीसरी तिमाही की विकास दर 7 फीसदी रही
नोटबन्दी के दौरान तीसरी तिमाही की विकास दर 7 फीसदी रही
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नई दिल्ली : नोटबंदी के दौरान देश की विकास दर कम होने की आशंका निर्मूल साबित हुई है. कल मंगलवार को केन्द्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि चालू वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के दौरान विकास दर 7 फीसदी रही. जबकि इसके पूर्व रिजर्व बैंक ने संभावना जताई थी कि नोटबंदी के असर से विकास दर गिरकर 6.9 फीसदी और आईएमएफ ने 6.5 फीसदी रहने की बात कही थी.

बता दें कि अगले वित्त वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 7.3 फीसदी रह सकता है. सीएसओ के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी का 7.1 फीसदी का आंकलन किया गया था. जिसके बाद वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) तक 7.2 फीसदी जीडीपी की वृद्धि दर्ज की गई थी. वहीं दूसरी तिमाही (जुलाई-सिंतबर) के दौरान विकास दर 7.4 फीसदी रही. स्मरण रहे कि केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था. जिसके बाद केन्द्रीय रिजर्व बैंक समेत कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों ने विकास दर के अपने आंकलन में गिरावट की संभावना जताई थी.

केन्द्र सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे का आंकड़ा जारी किया. मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी तक की तीन तिमाही के दौरान यह घाटा 5.64 लाख करोड़ रहा. यह वित्त वर्ष 2017 के लक्ष्य का लगभग 105.7 फीसदी अधिक रहा.वहीं सरकार को अप्रैल से जनवरी तक कुल 10.09 लाख करोड रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई . यह वित्त वर्ष 2017 के लक्ष्य का 73.3 फीसदी अधिक है.

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