गिलहरी ने की अपने जीवन की तुलना संसार से
गिलहरी ने की अपने जीवन की तुलना संसार से
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एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत तथा ईमानदारी से करती थी । गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी क्योंकि उसके मालिक जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था। गिलहरी काम करते - करते थक जाती थी तो, सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ वैसे ही उसे याद आता था, कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर काम पर लग जाती। गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते-कूँदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती थी कि मैं भी उनके समान खेलूं-कूदूँ। पर फिर उसे वो अखरोट याद आ जाता था, और वो फिर से काम पर लग जाती। शेर कभी-कभी उसे दूसरे शेर के पास भी काम करने के लिये भेज देता था। ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर भी बहुत ईमानदार था।

ऐसे ही समय बीतता रहा एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आजाद कर दिया। गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि - अब ये अखरोट हमारे किस काम के? पुरी जिन्दगी काम करते-करते तो हमारे दाँत ही घिस गये, अब मैं इसे खाऊँगी कैसे? दोस्तों यही कहानी आज सबके जीवन की हकीकत बन चुकी है। आज के इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है, और पूरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है। 60 वर्ष की उम्र जब वो रिटायर्ड होता है तब उसे उसका फन्ड मिलता है। तब तक एक जनरेशन बदल चुकी होती है, परिवार को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।

क्या नया मुखिया कभी इस बात का अन्दाजा लगा पायेगा की इस फन्ड के लिये कितनी इच्छायें मरी होगी? कितनी तकलीफें मिली होगी? कितनें सपनें रहे होंगे? तो दोस्तों सोचो जरा की क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय और उसका इस्तेमाल हम खुद ही न कर सके। इस धरती पर कोई ऐसा कोई अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो अपने बीते हुए समय को खरीद सके। दोस्तों जो समय हमारे पास हे, उस हल पल को जिए हल पल को अपनों को अपने के साथ जी भर कर जिए। कल का न सोचे नहीं तो कल हमारे पास सब कुछ होते हुए भी शायद हम खुद उस पल को जीने लायक ना बचे ।

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