अलीगढ़ : उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा है. गुरुवार देर रात देल्ही गेट थाना इलाके के कैलाश गली में पटाखे जलाने को लेकर दो समुदायों में हुए विवाद पर जमकर हंगामा हुआ था. हंगामे में 2 समुदायों के बीच पथराव और फायरिंग में घायल एक युवक की शुक्रवार को इलाज के दौरान मौत हो गई. इससे लोगों का गुस्सा फिर से फूट पड़ा. तनाव को देखते हुए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
जिला प्रशासन ने दलित युवक का पोस्मार्टम कराकर अपनी निगरानी में अंतिम संस्कार कराया है. इससे पहले परिवार ने जिला प्रशासन से युवक के शव मांगा था लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया. पुलिस के अनुसार, अगर दलित युवक का शव उसके घर को सौंप दिया होता तो मामला दोबारा भड़क सकता था.
जिला प्रशासन ने दलित युवक के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवजा राशि देने का ऐलान किया है. हालांकि, परिजनों का कहना है कि दादरी में अखलाक के परिजनों को 45 लाख रुपए और फ्लैट दिया गया है, तो उन्हें भी उतना मुआवजा मिलनी चाहिए.
क्या है मामला ?
बता दें कि गुरुवार की रात अलीगढ़ के थाना देल्ही गेट के कैलाश गली और सराय मिया में 2 समुदाय के बीच पथराव और फायरिंग शुई थी. घटना में गौरव पुत्र सुबाश चंद्र की जांघ में गोली लगी थी, इसके बाद इसे जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. लेकिन शुक्रवार को दोपहर करीब 12 बजे इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई. इसके बाद प्रशासन ने शव का पोस्टमार्टम कराया और पुलिस की निगरानी में ही युवक का अंतिम संस्कार भी कराया गया.ताकि मामला और न भड़के.
राजनीति शुरू....
पोस्टमार्टम के दौरान मोर्चरी में भाजपा सांसद सतीश गौतम, एटा सांसद राजवीर सिंह, मेयर शकुंतला भर्ती, कांग्रेस के पूर्व विधायक विवेक बंसल सहित कई बड़े नेता मौजूद थे.
सांसद सतीश गौतम ने कहा कि दादरी में मृतक के परिजनों को मुआवजे की राशि 45 लाख रुपए और एक फ्लैट दी गई, वहीं अलीगढ़ में मृतक के परिजनों को सिर्फ 10 लाख रुपए दिए जाने का ऐलान किया गया है. ये भेदभाव गलत है. प्रदेश में एक सामान मुआवज़ा दिए जाना चाहिए.