CM धामी बोले- 'अपनी बोली-भाषा को भुलाकर विकास संभव नहीं'
CM धामी बोले- 'अपनी बोली-भाषा को भुलाकर विकास संभव नहीं'
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देहरादून: उत्तराखंड के नौ वरिष्ठ साहित्यकारों को प्रथम उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मान्नित किया गया। सीएम पुष्कर सिंह धामी एवं भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने चयनित साहित्यकारों को सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, शॉल एवं 1-1 लाख रुपये के चेक भेंट किए। शुक्रवार को भाषा संस्थान ने सर्वे चौक स्थित आईटीडीआर सभागार में साहित्कारों के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया। मुख्यमंत्री ने साहित्यकारों को सम्मानित करने के पश्चात् समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को सम्मानित करके वो स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, अपनी बोली-भाषा को भुलाकर विकास संभव नहीं है। राज्य में बोली-भाषा के विकास का क्रम जारी है व ये लगातार चलता रहेगा। भाषा हमारी विरासत और संस्कृति का बोध कराने वाला अनुष्ठान है। हिंदी के माध्यम से देश को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। धामी ने नई पीढ़ी को स्थानीय बोली-भाषाओं से जोड़ने पर जोर दिया। बकौल धामी-आप सब घरों में अपने बच्चों के साथ अपनी बोली-भाषा में ही बातचीत करें।

आगे उन्होंने कहा, मैं स्वयं भी अपने बेटे के साथ यह प्रयास करता हूं। मुख्यमंत्री ने साहित्यकारों का आह्वान किया कि वो भाषाई विकास के लिए भाषा संस्थान के साथ कंधे से कंधा मिलाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के भाषा संस्थान को देश का प्रतिष्ठित संस्थान बनाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी के उत्थान और प्रसार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम भूमिका निभा रहे हैं। 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ में पूर्व पीएम ने हिंदी में भाषण दिया था। अब मोदी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक बडे़ समारोह में हिंदी में विचार रखने को तरजीह देते हैं। भाषा मंत्री उनियाल ने भी कार्यक्रम में विचार रखे। नई पीढ़ी में भाषा के प्रति संवेदनशीलता कम होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे।
जो व्यक्ति अपनी भाषा-संस्कृ़ति को भूल जाता है, वो विकसित नहीं हो सकता। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही उत्तराखंड की भाषाएं संविधान की 8वीं अनुसूची में स्थान पाएंगी। MLA खजानदास ने मुख्यमंत्री के समान नागरिक संहिता की दिशा में उठाए कदमों की तारीफ की। अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वद्यिालय,वर्धा के पूर्व कुलपति डॉ.गिरीश्वर मिश्र, पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी ने बतौर मुख्य वक्ता विचार रखे। भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने संस्थान की गतिविधियों की खबर दी। समारोह में MLA मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद नैनवाल, सचिव भाषा विनोद रतूड़ी, पूर्व वीसी सुधा रानी पांडे आदि भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

इनको मिला सम्मान:-
संतोष कुमार तिवारी चंद्र कुंवर बत्र्वाल पुरस्कार
अमृता पांडे शैलेश मटियानी पुरस्कार
प्रकाश चंद्र तिवारी डॉ.पीतांबरदत्त बड़थ्वाल पुरस्कार
दामोदर जोशी भैरवदत्त धूलिया पुरस्कार
राजेंद्र सिंह बोरा उर्फ त्रिभुवन गिरी गुमानी पंत पुरस्कार
नरेंद्र कठैत भजन सिंह ‘सिंह’ पुरस्कार
महावीर रंवाल्टा गोविंद चातक पुरस्कार
राजेश आनंद असीर प्रो.उन्वान चिश्ती पुरस्कार
गुरदीप अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार 

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