कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से सांसद महुआ मोइत्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की वैधता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। CJI एसए बोबडे की बेंच ने इस मामले पर जल्दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने मोइत्रा के वकील को लिस्टिंग के लिए पहले मेंशनिंग रजिस्ट्रार के सामने मामले को उठाने के लिए कहा है।
दरअसल, इस बिल को गुरुवार रात को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिल गई थी, जिसके साथ ही यह अब कानून बन गया है। मोइत्रा के वकील ने CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने फ़ौरन सुनवाई के लिए शुक्रवार को यह याचिका पेश की। बेंच ने उन्हें संबद्ध अधिकारी के पास जाने के लिए कहा है। मोइत्रा के वकील ने पीठ से आग्रह किया है कि याचिका को आज अथवा 16 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें। इस कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना की वजह से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों, हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।
वहीं पीस पार्टी ने भी शीर्ष अदालत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ रिट याचिका दायर की है। इसके अलावा केरल के विपक्षी नेता रमेश चेन्नीथाला ने कहा है कि, 'मैंने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम के मामले में शामिल होने का निर्णय लिया है, क्योंकि यह संविधान का उल्लंघन है। केरल के लोग इस अधिनियम के खिलाफ हैं।'
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