रायपुर : छत्तीसगढ़ में ज्यादातर बच्चों के घर से भागने की वजह उन पर परिवार में जरूरत से ज्यादा ध्यान दिया जाना है. बच्चो को अपनी स्वंत्रता में दखल नहीं पसंद इसलिए ये बच्चे घर छोड़कर चले जाते हैं. इस बात की जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग की 190 पेज से प्राप्त हुई है. सरकार ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को भेजने के लिए निर्मित की है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह सवाल किया कि आखिर बच्चे की घर छोड़कर भागने की वजह क्या है? सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद विभाग ने एक रिसर्च टीम का गठन किया.
इस टीम में पुलिस के अफसर और पं. रविशंकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर समिल्लित किए गए. नवंबर में टीम का निर्माण किया गया. जनवरी में कार्य प्रारम्भ किया गया और अब रिपोर्ट तैयार हो गई. अब इसे सुप्रीम कोर्ट भेजने की पूरी तैयारी हो चुकी है. टीम ने राज्य के 27 जिलों को नौ समूह में विभाजित किया. इनमें रायपुर, जगदलपुर, रायगढ़, दुर्ग, भाटापारा बलौदाबाजार, जशपुर, राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा और सरगुजा सम्मिलित किये गए. इसके बाद कार्य शुरू किया गया.
भागने वाले बच्चों से मिले तथ्य
52 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि घर वालों के अत्यधिक नियंत्रण व दबाव से मुक्त होने के लिए यह तरीका अपनाया.
घर के सदस्यों की सजा से डरकर करीब 69 फीसदी बच्चे घर से भाग गए थे.
83 फीसदी बच्चों ने कहा कि अत्यधिक सुरक्षात्मक वातावरण होने की वजह से उनकी स्वतंत्रता बाधित हो रही थी.
28 फीसदी बच्चों के अनुसार वे प्रेम-प्रसंग के चलते घर छोड़ा.
22 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि पालकों ने अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभाई
42प्रतिशत लड़के-लड़कियों ने अपेक्षाएं पूरी नहीं होने की वजह से घर से भागे
25 फीसदी बच्चों को अपनी विद्रोही प्रवृत्ति के चलते घर से निकल दिया गया
9 प्रतिशत बच्चों ने महसूस किया कि उनके परिवार के सदस्यों के बीच आपसी तालमेल नहीं है
12 फीसदी बच्चे मानते हैं कि उनके परिजन गाली-गलौच व मारपीट करते हैं. इससे परेशान होकर घर छोड़ दिया.