आप सभी को बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार छठ का महापर्व 31 अक्टूबर यानि कि आज से शुरू हो चुका है और इस दौरान सूर्य देव की पूजा करते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस दिन जिन छठी माता की पूजा की जाती है वह कौन है. जी दरअसल ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड में बताया गया है कि, ''सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को 'देवसेना' कहा गया है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इस देवी का एक प्रचलित नाम षष्ठी है.'' इसी के साथ पुराण के अनुसार ये देवी सभी 'बालकों की रक्षा' करती हैं और उन्हें लंबी आयु प्रदान करती हैं. ऐसे में आज भी ग्रामीण समाज में बच्चों के जन्म के छठे दिन षष्ठी पूजा या छठी पूजा का प्रचलन है.
'षष्ठांशा प्रकृतेर्या च सा च षष्ठी प्रकीर्तिता.
बालकाधिष्ठातृदेवी विष्णुमाया च बालदा..
आयु:प्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी.
सततं शिशुपार्श्वस्था योगेन सिद्धियोगिनी.."
-(ब्रह्मवैवर्तपुराण,प्रकृतिखंड 43/4/6)
आपको बता दें कि षष्ठी देवी को ही स्थानीय भाषा में छठी मैया कहा गया है और षष्ठी देवी को 'ब्रह्मा की मानसपुत्री' भी कहा जाता है. इसी के साथ पुराणों में छठी मैया का एक नाम कात्यायनी भी है और इनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि को होती है. इसी के साथ कहा जाता है शेर पर सवार मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं और वह बाएं हाथों में कमल का फूल और तलवार धारण करती हैं.
इसी के साथ वह दाएं हाथ अभय और वरद मुद्रा में रहते हैं और मां कात्यायनी योद्धाओं की देवी हैं. कहा जाता है राक्षसों के अंत के लिए माता पार्वती ने कात्यायन ऋषि के आश्रम में ज्वलंत स्वरूप में प्रकट हुई थीं, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. वहीं ऐसी भी मान्यता है कि छठी मैया भगवान सूर्य की बहन हैं और छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है.
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