ये कैसा न्याय: जब ससुर ने लगाई HC में बहू के खिलाफ गुहार, तो मिला अजीबोगरीब जवाब
ये कैसा न्याय: जब ससुर ने लगाई HC में बहू के खिलाफ गुहार, तो मिला अजीबोगरीब जवाब
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चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने पती-पत्नी से जुड़े एक केस में पत्नी को दोषमुक्त करार दे दिया है। मामला बरनाला (Barnala) का बताया जा रहा है। बरनाला के एक शख्स ने अपनी बहु के विरुद्ध  यहां की अदालत में मामला दर्ज करवाया था। बरनाला की अदालत ने इस शख्स की बहु को दोषी करार दिया था और सजा के साथ ही जुर्माना भी लगाया गया था, लेकिन हाईकोर्ट में इस केस की सुनवाई के बीच निचली अदालत में बहु को दी गई सजा को रद्द ही नहीं किया, बल्कि जुर्माने की राशि लौटाने का निर्देश भी दे दिया। हाईकोर्ट ने ये भी निर्देश दिया कि पत्नी का पति को मर जा कहना खुदकुशी के लिए उकसाने वाला नहीं माना जाएगा। 

बरनाला के रहने वाले एक पिता ने अपनी बहु के विरुद्ध शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने इस बारें में बोला था कि उनके बेटे का विवाह  22 मार्च 2015 को हुआ था। उनकी बहु ग्रेजुएट है और बेटा पढ़ा-लिखा नहीं है। इस कारण से उनके बेटे-बहु के मध्य हमेशा झगड़ा हुआ करता था। आलम ये था उनकी बहु लड़कर हमेशा ही मायके चली जाती। रिश्ता बचाने के लिए ससुराल वाले मायके से बहु को ले आते। ससुर का इल्जाम है कि उनके बेटे-बहु में 28 जून 2015 को भयंकर झगड़ा होने लगा था। झगड़े के दौरान उनकी बहु ने उनके बेटे को कोसा और उसे थप्पड़ रसीद डाला। इसके साथ ही बहु ने उनके बेटे से बोला कि जा कहीं जाकर मर क्यों नहीं जाता। बहु के कोसने के उपरांत उनके बेटे ने कमरे में जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर दिया। जिसके कुछ वक़्त के उपरांत  ही उन्होंने उस कमरे से धुआं निकलते देखा गया है। उन्होंने पड़ोसियों की सहायता से दरवाजा तोड़कर बेटे को बाहर निकाला और उसे पटियाला अस्पताल में भर्ती कराया। यहां इलाज के दौरान उनके बेटे की मौत हो चुकी है।

ससुर की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की। जिसके उपरांत निचली अदालत ने अपने निर्णय में बहू को दोषी करार दे दोइया गया। अदालत ने बहु को 7 वर्ष की सजा सुनाने के साथ ही उस पर 1।25 लाख का जुर्माना भी लगा दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के विरुद्ध बहु ने हाईकोर्ट याचिका दी थी। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में बोला है कि इस केस में गवाह के नाम पर केवल मरने वाले के अभिभावक ही हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर ये माना जाए कि बहु ने उनके बेटे को तमाचा लगाकर जा कहीं जाकर मर जा बोला तो भी ये खुदकुशी के लिए उकसाने वाला अपराध नहीं है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने बहु की सजा को रद्द कर दिया है और उस पर लगाई गई जुर्माने की राशि भी दूसरे पक्ष से लौटाने को बोला है। 

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