आप सभी को बता दें कि चैत्र नवरात्र इस बार 9 दिन के ही होंगे और यह 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं. ऐसे में नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ रुपों की पूजा की जाती है और चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा को कलश स्थापना की जाती है. कहते हैं कि घट स्थापना प्रतिप्रदा शुरू होेने के बाद ही करना शुभ होता है लेकिन कलश स्थापना से पहले क्या काम किए जाने चाहिए, इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. जी दरअसल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा.
प्रतिप्रदा तिथि:
प्रतिप्रदा शुरू: = 14:20 5 अप्रैल
प्रतिप्रदा खत्म: 3 बजे तक 6 अप्रैल
इसके लिए पहले से देवी की अर्पित की जाने वाली चीजें अर्पित कर दें और देवी को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिन्दूर, लाल साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण अर्पित कर दें. ध्यान रखे कि घटस्थापना सुबह के समय की जाती है जो 9 दिन तक कलश वहीं रखा रहता है. वहीं कलश स्थापना के लिए चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्घ घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्ब पत्र, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, नैवेध, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि चीजों की जरूरत होगी। इसलिए पहले से ही इन पूजन साम्रगी को एकत्र कर लें. अब मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बना कर उसके गले में मौली बांध कर उसके नीचे गेहूं या चावल डाल कर रखते हैं और उसके बाद उस पर नारियल भी रख दें इससे लाभ होगा और पूरे साल बरकत.
चैत्र नवरात्र में करें इन नियमों का पालन तभी होगा उद्धार
चैत्र नवरात्रि में 'घोड़े' पर सवार होकर आएंगी मां, हाथी पर बैठकर लेंगी विदा
इस बार चैत्र नवरात्र में है रेवती नक्षत्र, जानिए क्या है ख़ास