सेंसर बोर्ड किस चीज को बचा रहे हैं.. कौन-सी संस्कृति?'
सेंसर बोर्ड किस चीज को बचा रहे हैं.. कौन-सी संस्कृति?'
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बॉलीवुड के मशहूर फिल्मकारों में शामिल फिल्मकार विक्रम भट्ट जिन्होंने अपने एक बयान में कहा कि 'मैं एक वल्गर इंसान हूं और वल्गर फिल्में देखना चाहता हूं और इसके लिए खर्च करने में सक्षम हूं। आप फिल्म पर बड़े अक्षरों में लिख दीजिए कि यह फिल्म गंदी है, मैं बुरा नहीं मानूंगा। लेकिन, यह मत बताइए कि मेरे लिए क्या सही है और क्या गलत।'

बता दे की फ़िल्मकार विक्रम भट्ट की जल्द ही एक फिल्म अने वाली है जिसका नाम है 'लव गेम्स' है जो जोड़ों के बीच पार्टनर की अदला-बदली पर आधारित है। ऐसे बोल्ड सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने वाले निर्देशक का कहना है कि जब दर्शक वल्गर फिल्में देखना चाहते हैं, तो फिर कोई अन्य यह फैसला क्यों ले कि क्या देखने लायक है और क्या नहीं? विक्रम भट्ट का कहना है कि भारत में सेंसर बोर्ड ने दर्शकों की पसंद की हिफाजत की जिम्मेदारी ली ली है, जो कि उसका काम नहीं है।

भट्ट इस बात से खुश नहीं हैं कि बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्य फिल्म के सीन और संवादों को हटा देते हैं और कई बार तो फिल्म को बैन भी कर देते हैं। विक्रम भट्ट ने कहा कि 'लव गेम्स' को केवल बालिगों के देखने के लिए उचित माना गया है। लोग इंटरनेट पर विदेशी फिल्मों की खोज कर रहे हैं, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि सेंसर बोर्ड किस चीज को बचा रहे हैं.. कौन-सी संस्कृति?'  

 

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