जब 'शोले' के कारण टूटा था आनंद बख्शी का सिंगर बनने का सपना, सेना की नौकरी छोड़ आए थे बॉलीवुड
जब 'शोले' के कारण टूटा था आनंद बख्शी का सिंगर बनने का सपना, सेना की नौकरी छोड़ आए थे बॉलीवुड
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21 जुलाई 2021 को रावलपिंडी में जन्मे आनंद बख्शी, वो गीतकार, जिसके गानों ने कपूर खानदान के फ्लॉप हीरो को सबका चाहता ‘शशि कपूर’ बना दिया. जिसके गीतों ने टेलेंट प्रतियोगिता में जीतकर आए एक आउटसाइडर को फिल्म जगत का पहला सुपरस्टार 'राजेश खन्ना' बनाया. 4000 से अधिक गीत लिखे आनंद बख्शी के पिता रावलपिंडी में बैंक मैनेजर थे. अपनी जवानी के समय में आनंद टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में सेना में शामिल हो गए. किन्तु बम्बई और सिनेमा अब भी एक सपने जैसा ही था, लेकिन चाह थी. सिनेमा जगत में घुसने की कोशिश ‘बदला’ फिल्म के साथ हुई, किन्तु कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद आनंद बख्शी ने नौसेना जॉइन कर ली. 

जब देश का विभाजन हुआ तो बक्शी परिवार शरणार्थी बनकर हिन्दुस्तान आ गया. जब मुंबई में कुछ ना हुआ तो आनंद बक्षी ने फिर से सेना जॉइन कर ली और पचास के दशक की दहाई तक वहीं सेवाएं देते रहे. उन्होंने 1956 में सेना की नौकरी छोड़ दी फिल्मों में बतौर गीतकार काम करने के लिए आ गए. आनंद को पहला ब्रेक भगवान दादा की फिल्म ‘भला आदमी’ से मिला. किन्तु उन्हें पहचान 'जब जब फूल खिले’ में, गीत ‘परदेसियों से ना अंखियां मिलाना' से मिली थी. गीतकार आनंद बख्शी की सबसे मशहूर फिल्मों में से एक है ‘शोले’. किन्तु ये बात बेहद कम लोग जानते हैं कि यह फिल्म सिंगर आनंद बक्शी की भी claim to fame फिल्म होने वाली थी. 

दरअसल, ‘शोले’ की ओरिजिनल स्क्रिप्ट में एक कव्वाली भी शामिल थी. लेखक जावेद अख्तर ने तय किया था कि इस कव्वाली को भोपाल की ‘चार भांड’ स्टाइल में फिल्माया जाएगा, जिसमें कव्वालों के चार समूह एक-दूसरे का मुकाबला करते हैं. ये कव्वाली फिल्म में सूरमा भोपाली वाले ट्रैक का हिस्सा थी. गाने के बोल कुछ यूं थे,  

'चांद सा कोई चेहरा ना पहलू में हो
तो चांदनी का मज़ा नहीं आता
जाम पीकर शराबी ना गिर जाए तो
मैकशी का मज़ा नहीं आता'

और इस कव्वाली को गाने के लिए जिन चार गायकों को चुना गया था उनमे, किशोर कुमार, मन्ना डे, भुपिन्दर और खुद आनंद बक्शी का नाम था. प्लान के अनुसार, भोपाल से ‘चार भांड’ गाने वाले कव्वाल बुलाए गए. RD बर्मन ने धुन रची और कव्वाली रिकॉर्ड हुई. किन्तु कभी शूट नहीं हो सकी. कारण, फिल्म पहले ही तय तीन घंटे से लम्बी हो चुकी थी. जिसके चलते गाने पर कैंची चल गई. इस बात से सबसे दुखी खुद आनंद बख्शी थे, 'यदि वो गाना शोले में होता, तो क्या पता एज़ ए सिंगर करियर मेरा चल जाता.'

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