धोनी vs कोहली : कहीं टीम को भारी न पड़ जाए दो कप्तानों की जंग!
धोनी vs कोहली : कहीं टीम को भारी न पड़ जाए दो कप्तानों की जंग!
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पहले ट्वेंटी-20 सीरीज के दोनों मैचों में मिली हार के बाद कानपुर वनडे में टीम के हारने के बाद से कप्तान धोनी आलोचकों के निशाने पर आ गए थे. कई पूर्व खिलाड़ी उनसे कप्तानी छीनकर विराट कोहली को देने की बात करने लगे थे. वैसे जिस तरह से विराट खेल रहे है उससे लगता है वें भी यही चाहते है. कानपुर के पहले वनडे में जब टीम मजबूत स्थति में थी तब विराट गैरजिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट हो गए. उनके आउट होने के बाद से टीम की स्थति कमजोर होती गई. हालाँकि आखिर में सभी ने हार का ठीकरा धोनी पर फोड़ दिया, लेकिन धोनी ने भी इशारो-इशारो में कोहली को हार का जिम्मेदार बता दिया है. मैच के बाद मीडिया में खबर आई थी कि मैच से पहले विराट और धोनी में झगड़ा हुआ था. हालाँकि इंदौर वनडे में धोनी ने जिस तरह प्रदर्शन किया, उससे आलोचकों के मुह तो बंद हो गए, लेकिन इस मैच में विराट जिस तरह से रन आउट हुए, उन्होंने बहुत हद तक टीम को कमजोर कर ही दिया था. हालाँकि अभी सीरीज के तीन मैच बाकि है. ऐसे में अगर भारत सीरीज हारी तो धोनी की कप्तानी पर सवाल उठना लाजमी है.

साउथ अफ्रीका दुनिया की सबसे मजबूत टीमों में से एक है, उसमे डी विलियर्स, अमला, प्लेसिस, स्टेन, डुमिनी, मिलर जैसे शानदार खिलाड़ी है. ऐसे में भारतीय टीम के दो दिग्गजों के बीच तनाव भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा साबित नहीं होगा. ख़राब फॉर्म के बाद भी कोहली टीम के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य बने हुए है, दूसरी और टीम निदेशक रवि शास्त्री भी उनका भरपूर समर्थन कर रहे है. इसके अलावा धोनी को समर्थन देने वाले BCCI के पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवासन भी घोटाले की वजह से हाशिये पर चले गए है, ऐसे में भारत के हारने पर धोनी से जल्द कप्तानी छीनी भी जा सकती है. कई लोगो का कहना है कि विराट जानबूझकर ख़राब खेल रहे है ताकि भारतीय टीम हार जाए और धोनी की जगह उनको कप्तान बना दिया जाए. वैसे कोहली पर सवाल यु ही नहीं उठ रहे.

टीम को हराकर धोनी को जल्द से जल्द विदा करने का कोहली का कोई खुला एजेंडा नहीं है या एजेंडा है भी या नहीं, कुछ कह नहीं सकते. लेकिन जहाँ तक अगर रिकॉर्ड की बात की जाए तो कोहली ने इस साल धोनी की कप्तानी में पिछली 12 इनिंग्स में कोई फिफ्टी भी नहीं लगाई है. इस साल उनका औसत 30 से भी कम रहा है, वहीँ खुद की कप्तानी में कोहली ने 6 टेस्ट मैच में 64 के शानदार औसत से 696 रन बनाए है. अनुष्का शर्मा के मित्र विराट कोहली का वनडे में 'लेडी लक' गायब होता जा रहा है. फैशन और एडवरटाइजिंग में नंबर वन विराट का वनडे में ‘गोल्डन टच’ नदारद हो चूका है, लेकिन फिर भी कोहली से ज्यादा सवाल धोनी पर उठ रहे है. जबकि उनका प्रदर्शन कोहली से अच्छा ही रहा है.

वैसे सीनियर खिलाड़ी को हाशिये पर ले जाने की शुरुआत खुद कप्तान धोनी ने ही की थी. कप्तानी मिलने के बाद धोनी ने टीम में खुद की पोजीशन मजबूत करने के लिए टीम से सहवाग, युवराज, गंभीर, ज़हीर और हरभजन जैसे खिलाड़ियों को टीम से बाहर किया. कई लोग सचिन तेंदुलकर के सन्यास लेने का कारण भी धोनी को ही बताते है. 2015 विश्वकप टीम के चयन के दौरान रणजी में अच्छा खेल रहे युवराज सिंह की जगह धोनी ने बीसीसीआई के सेलेक्शन पैनल की पांच सदस्यीय टीम में शामिल रॉजर बिन्नी के बेटे स्टुअर्ट बिन्नी को टीम में जगह दिलवाई. कुछ हटकर फैसले लेने के लिए पहचाने जाने वाले धोनी के इस फैसले का हर किसी ने विरोध किया था. अब ऐसे में कोहली भी धोनी को साइड में कर खुद बन जाए तो यह भारतीय टीम के लिए कोई नई बात नहीं होगी. हालाँकि इनके झगड़े का नुकसान टीम को जरूर उठाना पड़ सकता है.

वैसे कोहली-धोनी के झगड़े के बीच हमें दूसरे खिलाड़ियों को नहीं भूलना चाहिए. इस समय धवन, रैना जैसे खिलाड़ी भी अच्छा नहीं खेल रहे है. आखिर इनका टीम को क्या योगदान है? क्या दूसरे सीनियर खिलाड़ियों की तरह इनको भी टीम से बाहर किया जाएगा? खेर जो भी हो टीम को और खासकर टीम निदेशक रवि शास्त्री को टीम के अंदर चल रही इस राजनीती को जल्द से जल्द खत्म करना होगा, वरना धोनी-कोहली की इस जंग से भारतीय टीम को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा.

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