पानी की बूंद-बूंद को तरसता, केपटाउन
पानी की बूंद-बूंद को तरसता, केपटाउन
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केपटाउन: दक्षिण अफ्रीका का शहर केप टाउन पिछले तीन वर्षों से भंयकर जल संकट से जूझ रहा है किन्तु अब यह समस्या अपने चरम पर पहुँच गई है. वह दिन दूर नहीं जब करीब 40 लाख की आबादी वाले इस शहर का पानी पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. इस दिन को कुछ लोग 'डे जीरो' कह रहे हैं. डे जीरो यानी जिस दिन पानी मिलना बिल्कुल बंद हो जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इसी वर्ष अप्रैल तक अफ्रीका का यह शहर पूरी तरह से जल विहीन हो जायेगा.

पर्यटकों से भरे हुए इस शहर में हर कोई हाथ में बर्तन लिए, पानी की तलाश में भटकते नज़र आ रहा है. दक्षिण अफ्रीका के इस शहर में पिछले तीन साल से पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. यहां हर साल औसतन 508 मिलीलीटर बारिश दर्ज होती थी जो पिछले तीन साल में सिर्फ 153, 221 और 327 मिमी ही रह गया है. तीन वर्षों से बढ़ता हुआ यह सूखा फ़िलहाल अफ्रीका के लिए खतरे की घंटी बन गया है.

"डे जीरो" को देखते हुए सरकार ने नहाने और शौचालय में  टंकी के पानी का उपयोग करने पर रोक लगा दी है. अब कैपटाउन में 75 फीसदी घरों की पानी सप्लाई काटने की योजना है जिससे 10 लाख से ज्यादा घरों को पानी मिलना बंद हो जाएगा. अफ्रीका में हालत इतने बदतर हैं की अब नालियों के पानी को भी रीसायकल कर इस्तेमाल करने की कोशिशें की जा रही है. 

पानी के इस भीषण संकट को देखते हुए हमें भी इससे सीख लेने की जरुरत है, आज जिस तरह से पेड़ों को काटा जा रहा है, प्रदुषण की मात्रा दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है उससे मौसम अपना मिज़ाज़ भूल चुका है. अगर हम अब भी नहीं संभले तो इस संकट का सामना हर एक को करना होगा.  

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