क्या पीरियड्स में कर सकते हैं एकादशी व्रत? यहाँ जानिए
क्या पीरियड्स में कर सकते हैं एकादशी व्रत? यहाँ जानिए
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इस बार 10 सितंबर को अजा एकादशी मनाई जा रही है. एकादशी के दिन प्रभु श्री विष्णु की उपासना की जाती है. प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन प्रभु श्री विष्णु की उपासना करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. इस बार की अजा एकादशी बेहद विशेष रहने वाली है क्योंकि इस दिन कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं जिसमें रवि पुष्य योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग बनने जा रहा है. वही एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को स्वयं प्रभु श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होती है तथा वो मोक्ष प्राप्ति के नजदीक पहुंचते हैं। ऐसे में यदि एकादशी के दौरान पीरियड्स आ जाये तो क्या करें? व्रत करें या ना करें? ये बहुत बड़ी दुविधा है जिसका समाधान हम आपको यहां दे रहे हैं।

रामायण काल के महान ऋषि श्रृंगी ने भी पीरियड्स के चलते एकादशी करने की अनुमति देते हुए कहा है:
एकादस्यम न भुंजिया, नारी दृष्टे राजस्यपि

यदि किसी महिला का मासिक धर्म चल रहा हो तो भी उसे एकादशी के दिन भोजन नहीं करना चाहिए।

ऋषि आगे कहते हैं
सनेर वरे रावे संक्रांत्यं ग्रहणे॥ च
त्याज्य न एकादशी राजन सर्व दैवेती निश्चयः
(हरि भक्ति विलास 12/63, देवल ऋषि)

एकादशी का व्रत भले ही शनिवार, रविवार, ग्रहण के दिन या संक्रांति के दिन क्यों न हो, कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मतलब जैसी भी स्थिति हो एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। किन्तु, पीरियड्स के चलते निर्जला एकादशी जिसमें जल तक ग्रहण नहीं करते, कैसे किया जाये? पीरियड्स के चलते व्रत कर रहे हों तो सबसे पहले स्वच्छता और पवित्रता का ख्याल अवश्य रखें। पूजा की सामग्री को अपने हाथों से स्पर्श ना करके किसी और से देवता पर अर्पित करवा दें। भगवान का विग्रह यानी प्रतिमा का स्पर्श ना करें ना ही उनकी पूजा करें। व्रत के चलते कोई भी ऐसा कार्य जो भगवान की प्रतिमा या पूजा से प्रत्यक्ष जुड़ी हों वो नहीं करनी चाहिए जैसे कि भगवान के लिए भोग बनाना, पूजा की थाली सजाना, फूलमाला बनाना, पूजा के बर्तनों को छूना या धोना, आरती का सामान लाकर देना आदि। व्रत का संकल्प लेने से पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लें। अपने बाल जरूर धोएं। स्वच्छ पवित्र वस्त्र धारण करें। अगर सुविधा हो तो भगवान् की मंगलारती के दर्शन कर लें तथा उसके पश्चात् व्रत का संकल्प लें। दूर से भगवान को पंचांग प्रणाम कर सकते हैं तथा मन में मंत्र का जाप कर सकते हैं। 

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