बजट 2020: आज आम बजट के साथ इन 5 बातों पर होगा ध्यान
बजट 2020: आज आम बजट के साथ इन 5 बातों पर होगा ध्यान
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नाइ दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज अपना दूसरा आम बजट पेश करने वाली है. वहीं इस बजट में सबसे ज्यादा नजरें आयकर के स्लैब में कमी होने पर टिकी हैं. वहीं वेतनभोगी करदाताओं को आस है कि स्लैब और कर दर में कमी कर वित्त मंत्री मध्यम वर्ग को फायदा पहुँचाने वाली है. जंहा यह भी कहा जा रहा है कि  मांग को बढ़ाने के लिए कई बड़े एलान कर सकती हैं. जंहा राज्य के खजाने को बढ़ाने के लिए नए कर लगा सकती हैं. इलके अलावा मध्यम वर्ग की अपेक्षाओं को पूरा करने की भी कोशिश करेंगी. बजट में इन पांच चीजों पर नजरे टिकी रहेंगी.

राजकोषीय गणित: सीतारमण के लिए पहली और महत्वपूर्ण चुनौती निवेशकों और विश्लेषकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनके राजस्व और व्यय अनुमान विश्वसनीय हैं. पिछले साल के पैंग्लोसियन राजस्व वृद्धि का अनुमान जो अस्वीकार्य साबित हुआ था, उसे विश्लेषकों ने शुरुआत से ही चुनौतिपूर्ण बताया था. वित्त वर्ष 20 और 21 के लिए राजकोषीय घाटे पर बारीकी से नजर रखी जाएगी. वित्त वर्ष 2021 के लिए जीडीपी के मामूली विकास का अनुमान यथार्थवादी होना चाहिए.

राजस्व प्रोत्साहन: सरकार से उम्मीद है कि वह कमजोर होती ग्राहकों की मांग और निजी निवेश की कमी के चलते अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए कदम उठाने वाली है. अगर सरकार सुस्ती दूर करने के लिए ज्यादा खर्च करती है तो इससे उसके अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की गंभीरता दिखेगी. वहीं इससे बॉन्ड मार्केट पर असर पड़ेगा और आरबीआई को दरों में कटौती से रोक सकता है.

वित्त आयोग की सिफारिशें: वित्त मंत्री सीतारमण शनिवार को 15वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट के साथ-साथ संसद में की गई कार्रवाई की सिफारिशें भी पेश करेंगी. राज्य और अर्थशास्त्री यह देखेंगे की कैसे एफएफसी विवादास्पद मुद्दों से निपटता है. जैसे केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा, संसाधन आवंटन में जनसंख्या का भार और रक्षा क्षेत्र के लिए एक अलग कोष बनाने का प्रस्ताव.

बढ़ाना होगा टैक्स आधार: कर संग्रह में मंदी के बीच उच्च सार्वजनिक खर्च के लिए संसाधन जुटाना. सीतारमण को टैक्स का आधार बढ़ाना होगा और धार्मार्थ ट्रस्टों को दिए कर प्रोत्साहन को कम करना होगा. टैक्स आधार को बढ़ाने के लिए सीतारण यूरोपीय ट्रेंड को फॉलो कर सकती हैं.

आयकर राहत: सरकार पर मध्यम वर्ग के लोगों को आयकर राहत देने का दबाव है लेकिन यह देखते हुए कि सरकारी खजाने में इस वर्ग की अहम भूमिका है थोड़ी राहत भी सरकार तकलीफ दे सकती है. वेतनभोगी वर्ग के पास कुल व्यक्तियों की कुल आय का 60 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें सभी ऐसे लोग शामिल हैं जिनके पास व्यवसाय, पूंजीगत लाभ, गृह संपत्ति और अन्य स्रोतों से आय मिलती है.

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