कब है बुद्ध पूर्णिमा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
कब है बुद्ध पूर्णिमा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
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सनातन धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर महीने का अंतिम दिन होता है. अभी वैशाख महीना चल रहा है. 5 मई 2023 को वैशाख पूर्णिमा है, इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इसे बुद्ध पूर्णिमा एवं बुद्ध जयंती भी कहते है. पुराणों में बुद्ध को प्रभु श्री विष्णु का नौवां अवतार बताया गया है, यही वजह है कि हिंदुओं के लिए भी ये दिन बहुत पवित्र माना जाता है. संयोग से इस बार बुद्ध पूर्णिमा को वर्ष का प्रथम चन्द्र ग्रहण भी लग रहा है. इससे इसकी अहमियत ओर ज्यादा बढ़ गई है. बुद्ध पूर्णिमा का पर्व भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है. 

बुद्ध पूर्णिमा 2023 मुहूर्त:-
पंचांग के मुताबिक, वैशाख पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 4 मई 2023 को 11 बजकर 44 मिनट से हो रहा है. पूर्णिमा तिथि का समापन 5 मई 2023 को रात 11 बजकर 03 मिनट पर होगा. इस दिन भगवान गौतम बुद्ध की 2585वाँ जयंती मनाई जाएगी. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान चंद्रदेव एवं मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है.
लाभ (उन्नति) मुहूर्त - सुबह 07.18 - सुबह 08.58
शुभ (उत्तम) मुहूर्त - दोपहर 12.18 - दोपहर 01.58

बुद्ध पूर्णिमा महत्व:-
वैशाख पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जीवन की तीन अहम चीजों से जुड़ी है - गौतम बुद्ध का जन्म, भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति और बुद्ध का निर्वाण की वजह से भी खास तिथि मानी जाती है. मान्यता है की इसी वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. ऐसे में बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूरी दुनिया के बौद्ध मठों में भगवान बुद्ध के उपदेश सुने जाते हैं. उनके सभी अनुयायी उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं तथा उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. भगवान बुद्ध ने हमेशा लोगों को सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. कहते हैं कि यदि बुद्ध पूर्णिमा के दिन जल से भरा कलश एवं पकवान दान किए जाएं तो गौ दान करने के समान पुण्य मिलता है.

बुद्ध पूर्णिमा पूजा विधि:-
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है, वास्तव में यह एक पीपल का वृक्ष है. इस दिन इसकी जड़ों में दूध एवं इत्र डाला जाता है तथा दीपक जलाए जाते हैं. वहीं कई लोग अपने-अपने क्षेत्र में पीपल की पूजा करते हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर में भगवान सत्यनारायण की कथा के बाद पांच या सात ब्राह्मणों को मीठे तिल दान करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है.

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