'राहुल गांधी की लोकप्रियता से डर गई है भाजपा, 2024 में वही करेंगे देश का नेतृत्व..', डीके शिवकुमार का बड़ा बयान
'राहुल गांधी की लोकप्रियता से डर गई है भाजपा, 2024 में वही करेंगे देश का नेतृत्व..', डीके शिवकुमार का बड़ा बयान
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बैंगलोर: पीएम नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के पोस्टरों को लेकर जारी खींचतान के बीच कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी अगले चुनाव में देश का नेतृत्व करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा राहुल गांधी की लोकप्रियता से डर गई है, क्योंकि 'भारत जोड़ो यात्रा' के बाद राहुल के बारे में जो धारणा भाजपा ने बनाने की कोशिश की थी, वह बदल गई है। 

पीएम मोदी और राहुल गांधी के पोस्टरों को लेकर भाजपा-कांग्रेस में तकरार के बीच कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि, 'भाजपा राहुल गांधी की लोकप्रियता से काफी डर गई है। भाजपा ने राहुल के बारे में जो धारणा बनाने की कोशिश की थी, वो भारत जोड़ो यात्रा के बाद बदल गई है। वह ऐसे नेता हैं जिन पर देशभर की नजर रहेगी। वह अगले चुनाव में देश का नेतृत्व करेंगे।' उल्लेखनीय है कि, बुधवार को, भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर साझा किया था, जिसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को महाकाव्य रामायण में एक राक्षस राजा, 'नए युग' के रावण के रूप में दिखाया गया था, जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। 

इस पोस्टर की विपक्षी पार्टी की ओर से व्यापक आलोचना हुई. पूरे भारत में कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एक्स पर एक ट्वीट में, भाजपा ने पोस्ट किया, "नए युग का रावण यहां है। वह दुष्ट है। धर्म विरोधी है। राम विरोधी है। उसका उद्देश्य भारत को नष्ट करना है।" 

कांग्रेस को हिन्दू धर्म विरोधी कहने के पीछे क्या तथ्य :-

दरअसल, ये वाकया सन 2007 का है जब श्री मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे और सत्ताधारी कांग्रेस रामसेतु को तोड़कर उसके पत्थरों का सौदा करना चाहती थी। कांग्रेस पार्टी ने रामसेतु को तोड़ने की प्रक्रिया का प्लान भी तैयार कर लिया था, पर चूँकि ये इतना आसान नहीं था और आस्था से जुड़ा मुद्दा था। इसलिए देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि वगैरह केवल काल्पनिक किरदार हैं। इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है, और इसे तोडा जा सकता है। परन्तु उस समय भाजपा ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया, और पार्टी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सुब्रमण्यम स्वामी ने वह केस लड़ा और रामसेतु को टूटने से बचाया। अगर, कांग्रेस सरकार वो केस जीत जाती तो हिन्दुओं को दो झटके लगते, पहला तो राम सेतु तोड़ दिया जाता, दूसरा अयोध्या में कभी भी राम मंदिर नहीं बन पाता। क्योंकि, जब राम का कोई अस्तित्व ही नहीं, तो उनका जन्मस्थान कैसा ? राम मंदिर मामले में भी वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में ग्रंथों के हिसाब से ये साबित किया कि, श्रीराम हुए थे, और अयोध्या में इस जगह जन्मे थे, जिसके बाद जाकर सदियों की लड़ाई के बाद राम मंदिर में पक्ष में फैसला आया था। 

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