गांधीनगर: बिहार में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी स्थानीय स्तर के चुनावों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। उल्लेखनीय है कि उप्र निकाय चुनाव में भाजपा को हार झेलनी पड़ी थी। ऐसे में अब उसका ध्यान अपने गढ़ गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में लगा हुआ है। चुनाव 22 नवंबर को हैं। जिसे देखते हुए पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है। दूसरी ओर ये चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि गुजरात में मुख्यमंत्री का पद पीएम मोदी के स्थान पर आनंदीबेन पटेल के पास है।
तो दूसरी ओर पटेल आरक्षण आंदोलन ने सत्ता के प्रति असंतोष उपजाया है। ऐसे में ये चुनाव भाजपा के लिए काफी कशमकश भरा रह सकता है। इस चुनाव में भाजपा ने 8434 उम्मीदवारों मे से 500 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि वर्ष 2010 में पहली बार भाजपा ने 300 मुस्लिम प्रत्याशियों को स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट दिया था।
इस चुनाव में 250 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। पार्टी द्वारा उम्मीदवारों के नाम और उनकी काबिलियत को भी ध्यान में रखा गया है। पार्टी के सूत्रों ने बताया है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को कुछ संशय लग रहा है। दरअसल आंदोलनकारी यह अपील कर रहे हैं कि भले ही खूंखार अपराधी चुन लें मगर भाजपा को वोट न दें। ऐसे में भाजपा को अपनी गढ़ में लगी सेंध से निजात पाने में मुश्किल नज़र आ रही है।