यहाँ दुल्हन को गोद में उठाकर लिए जाते हैं फेरे, जानिए कारण
यहाँ दुल्हन को गोद में उठाकर लिए जाते हैं फेरे, जानिए कारण
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भारत में शादी के अलग अलग रूप और रिवाज होते हैं जिनके बारे में आप जानते ही होंगे कि किस तरह की शादी होती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही शादी के बारे में, जहां दूल्हा दुल्हन को गोद में उठा कर फेरे लेते है. आज हम ऐसी ही एक जगह के बारे में बताने जा रहे हैं. आइये जानते हैं उस जगह के बारे में. 

आपको बता दें, शादी के दिन चबरक के कार्यक्रम में कन्या पक्ष की सुहागिनें दूल्हे को घी-शक्कर युक्त चावल लाकर ग्रास की मनुहार करती है. बाद में दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे को इस ग्रास की मनुहार करने के पश्चात दूल्हा अपनी दुल्हनियां को गोद में उठाकर फेरे लेता हैं. श्रीमाली समाज में रची-बसी इस परम्परा को देखने बड़ी संख्या में अन्य समाज के लोग भी पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि कुंवारे लड़के व लड़कियों की ओर से इन चावल को खाने से शादी शीघ्र होती है.

खबरों के अनुसार डॉ. श्रीमाली ने बताया कृष्ण-रूकमणी के विवाह के समय शिशुपाल भी रूकमणी से विवाह करने पहुंचा था. उस समय कृष्ण-रूकमणी के विवाह का चौथा फेरा चल रहा था. विवाह के मध्य में श्रीकृष्ण को शिशुपाल से युद्ध करना पड़ा और रात निकल गई. युद्ध में विजय के पश्चात श्रीकृष्ण ने रूकमणी को गोद में लेकर चार फेरे सुबह लिए. इस प्रकार कृष्ण-रूकमणी के विवाह पर कुल आठ फेरे हुए. इसी के चलते ये परंपरा आज भी बनी हुई है.

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