भुले भी तो कैसे भुले, जुबान बड़ी धारदार है
भुले भी तो कैसे भुले, जुबान बड़ी धारदार है
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बिहार चुनाव केवल जनता का मत नही अपितु भगवान का लिया एक मात्र ऐसा फैसला है, जो मानव जीवन का कल्याण करेगा। फिलहाल देश में चल रही जुबानों की गोली तो कुछ ऐसा ही कह रही है। इसके बाद न तो कोई और चुनाव होगा और न ही प्रचार। लगा लो बोली, उड़ा लो खिल्ली। जब जुबान से थक जाते है, तो ट्वीटर, प्रेस और मुखपत्र तो अपने घर का ही है।

पहले से लगाए जा रहे नारे मे कौन मनाएगा बिहार में दीवाली? जवाब मिल ही गया....महागठबंधन जीतकर मना रही है, तो भाजपा हारकर मना रही है। कोई पटाखों की शोर में मदहोश है तो कोई बम के धमाके में। ये अलग बात है कि ये धमाके जुबान से ही हो रहे है। भारतीय मीडिया भी बिहार में मतदान के बाद जैसे ही बोर होना शुरु हुई, चुनाव के नतीजों ने उन्हें मसालों से भर दिया। कोई कहता मैदान खाली था, तो कोई कहता आरक्षण ही भारी पड़ गया, कोई कुते और हाथी के पीछे पड़ा है। कोई जुमले बाजी से बाज नही आ रहा है। ऐसे में कोई हार के गम को भुलाए भी तो कैसे।

पिछली बार का कुता अभी खफा था ही कि इस बार फिर से उसे तुच्छ प्राणी बना दिया गया। अपनी ही पार्टी से खुलेआम बगावत कर शत्रु बन गए है और आजकल डॉट-डॉट की भाषा में बात कर रहे है। कुते से मन भरा तो शेर मार दिए....ताली कप्तान को तो गाली भी कप्तान को। बाँध में दरार पूरी तरह आई भी नही कि शिवसेना ने अपनी नाक घुसाते हुए शायरी पर अपना कॉपी राइट करा लिया। दुश्मन तो दुश्मन दोस्त भी बागी बन गया है, भीम सिंह भी खरी खोटी ऐसे सुना रहे है, जैसे बीजेपी के भीष्म पितामह यही है। कंटेंट कम पड़ा तो लोकसभा चुनाव को भी ठूंस दिया। एक साथ डबल साउंड बम कांग्रेस और बीजेपी दोनो पर आघात। बीजेपी चुनाव इसलिए जीती क्यों कि राहुल पप्पू निकले। माया की माया अपनी साख नही बचा सकी तो इल्जाम बीजेपी पर डाल दिया। बिहारियों ने ऐसे बाहर खदेड़ा कि पार्टी का नामो निशान मिटने की नौबत आई है।

लालू आलू की तरह गदगदा गए है...खुद तो जीते ही, दोनो पठ्ठों ने भी छाती चौड़ा कर दिया है। चेहरे पर बस एक ही भाव है....10 सेमी तक फैले होंठो का और मोदी का तो 1सेमी भी नही दिख रहा। इस उम्र में बड़े विश्वास से 30 रैलियों में 20-20 सेकेंड में 33 घोटालें गिनवाए थे, फिर भी धूर्त जनता ने कांड कर दिया। बीजेपी के सिपहसलाहकार तो वैसे ही टारगेट में है...उस पर अपने भी मौका दे रहे है। हर बयान के बाद कैमरा टिल्ट होकर आपने कहा था बयान देने। बागी बन बैठे है बेचारे।

इस पूरे चुनाव में कृष्ण की भूमिका निभा रहे—प्रशांत किशोर। ख्याति अपार मिल रही है। डीएनए के चक्कर में एनडीए को ऐसा उलझाया कि सारा बिहार ही नीतीश की झोली में डाल दी। कहा जा रहा है ममता मैडम भी अगले बंगाल चुनाव में इन्हीं को हायर करेंगी। लोकसभा में ही इन्ही की करिश्माई दिमाग का कमाल था...पर शाह ने बादशाहत के चक्कर में इनका थाह लगा दी।        

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