कोर्ट का बड़ा फैसला, उम्रकैद से 10 साल की मानसिक विक्षिप्त से रेप करने के दोषी की सजा
कोर्ट का बड़ा फैसला, उम्रकैद से 10 साल की मानसिक विक्षिप्त से रेप करने के दोषी की सजा
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मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मानसिक तौर पर विक्षिप्त महिला से बलात्कार के अपराधी की सजा आजीवन कारावास से घटाकर 10 वर्ष कर दी है। जस्टिस एएस गडकरी एवं जस्टिस एमएन जाधव की बेंच ने कहा कि पीड़िता इस घटना के बाद के नतीजों के समझने की स्थिति में थी। इसके बड़ा भी महिला उस स्थान पर गई।

वही सुनवाई के चलते बेंच ने कहा कि इस मामले में मानसिक तौर पर थोड़ी कमजोर महिला के साथ घटना हुई है, लिहाजा इस मामले पर अत्यंत संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने दोष सिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा कि मौजूदा मामले में पीड़िता असहाय, मानसिक तौर पर विक्षिप्त है। वर्तमान मामले को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ निपटाए जाने की जरुरत है। उसकी गोपनीयता एवं व्यक्तिगत अखंडता को अपीलकर्ता ने क्षति पहुंचाई है। दरअसल, पीड़िता अपने भाई के परिवार के साथ रहती थी। मानसिक तौर पर कमजोर होने की वजह से उसकी शादी नहीं हुई थी। वह दिनभर आसनगांव स्टेशन, शाहपुर, वाशिंद स्टेशन, कल्याण स्टेशन एवं ठाणे स्टेशन के आसपास घूमती रहती थी। 2014 में पीड़िता के परिवार को पता चला कि वह गर्भवती है। उन्होंने उसकी सोनोग्राफी कराई, इसमें प्रेग्नेंसी की बात सामने आ गई। मगर पीड़िता ने यह नहीं बताया कि उस हालात के लिए कौन जिम्मेदार था। इसलिए शाहपुर थाने में FIR दर्ज की गई है।

पुलिस ने पीड़िता से पूछताछ की तो उसने 22 वर्षीय अपराधी अनिल कोल्हे के बारे में खबर दी। जो कि मजदूरी करता था। कोल्हे की पहचान पीड़िता ने थाने में की। 1 जुलाई 2014 को पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया तथा पुलिस ने DNA टेस्ट के लिए ब्लड के नमूनें लिए। रिपोर्ट 2015 में आई और पुष्टि की गई कि अपराधी नवजात बच्चे का पिता था। चूंकि पीड़िता बच्चे की देखभाल करने की हालत में नहीं थी, इसलिए नवजात को ठाणे के एक ट्रस्ट में भेज दिया गया। अभियोजन पक्ष का कहना था कि अपराधी ने ठाणे जिले के कसारा कस्बे के पास एक सुनसान स्थान पर कम से कम 5 बार बलात्कार किया था। पुलिस के अनुसार, कोल्हे को इस बात की पूरी जानकारी थी कि पीड़िता मानसिक तौर पर विक्षिप्त है। बचाव पक्ष में अपराधी की तरफ से कहा गया कि पीड़िता मानसिक तौर पर विक्षिप्त नहीं है तथा साथ शारीरिक संबंध उसकी सहमति एवं प्रेम प्रसंग की वजह से किए गए थे। कल्याण जिले की विशेष अदालत ने 28 जनवरी 2016 को कोल्हे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं उच्च न्यायालय ने पीड़िता के बयानों पर ध्यान दिया कि बलात्कार की पूरी घटना को बताने के अतिरिक्त, उसने कोल्हे से शादी करने की इच्छा जताई, किन्तु उसके परिवार ने इसकी इजाजत नहीं दी। बेंच ने पीड़िता की मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि वह थोड़ा मानसिक तौर पर भी कमजोर थी। उच्च न्यायालय ने डीएनए सबूत के आधार पर रेप के मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा। हालांकि बेंच ने कहा कि पीड़िता मानसिक तौर पर थोड़ी कमजोर थी, मगर फिर भी उसे इस बात की जानकारी थी कि वह क्या कर रही है तथा इसके नतीजे  क्या होंगे। ऐसे में आजीवन कारावास की सजा कठोर होगी। बेंच ने अपराधी की उम्रकैद की सजा को 10 वर्ष की सजा में बदल दिया। साथ ही जुर्माने की राशि को भी बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया।

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