आज है भाद्रपद पूर्णिमा, यहाँ जानिए कथा-पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
आज है भाद्रपद पूर्णिमा, यहाँ जानिए कथा-पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Share:

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत करते है जो आज है। वहीं धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सत्यनारायण का पूजन करते है। कहा जाता है इस व्रत में भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा करते हैं।

आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व- नारदपुराण में बताया गया है सत्यनारायण पूजन के साथ ही इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भाद्रपद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। जी दरअसल यह व्रत खास तौर से महिलाएं रखा करती है। कहा जाता है यह व्रत रखने से संतान बुद्धिमान होती है और यह व्रत सौभाग्य देता है। इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि इस व्रत के दिन उमा-महेश्वर का पूजन किया जाता है और यह व्रत सभी कष्टों को दूर करके जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।

भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। अब विधिपूर्वक से भगवान सत्यनारायण और उमा-महेश्वर का पूजन करें। इसके बाद पुष्प, फल, मिठाई, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। अब भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें अथवा पढ़ें। इसके बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति अथवा ब्राह्मण को अपनी योग्यतानुसार दान अवश्य करें। इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि आज से ही पितृ पक्ष आरंभ हो रहा है और पूर्णिमा की तिथि को पहला श्राद्ध भी है। ऐसे में आज के दिन पितरों को याद करके उनका तर्पण करना उचित रहता है। कहा जाता है जिन लोंगों के पितरों का श्राद्ध पूर्णिमा तिथि को होता है, उन्हें पूर्णिमा श्राद्ध के दिन पिंडदान, तर्पण आदि कार्य मु्ख्य रूप से करना चाहिए।

कथा- मत्स्य पुराण के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान भोलेनाथ के दर्शन करके लौट रहे थे। तभी रास्ते में उनकी भेंट भगवान श्री विष्णु से हो गई। ऋषि दुर्वासा ने शंकर जी द्वारा दी गई बिल्व पत्र की माला विष्णु जी को दे दी। भगवान विष्णु ने उस माला को स्वयं न पहनकर गरुड़ के गले में डाल दी। इस बात से महर्षि दुर्वासा ने क्रोधित होकर विष्णु जी को श्राप दिया, कि लक्ष्मी जी उनसे दूर हो जाएंगी। उनका क्षीरसागर छिन जाएगा, शेषनाग भी सहायता नहीं कर सकेंगे। जब भगवान विष्णु जी ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम करके इस श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा। तब महर्षि दुर्वासा ने कहा कि उमा-महेश्वर व्रत करने की सलाह दी, और कहा कि तभी इस श्राप से उन्हें मुक्ति मिलेगी। तब भगवान श्री विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत उनकी सभी शक्तियां भगवान विष्णु को वापस मिल गईं।

पूजन के मुहूर्त- पूर्णिमा तिथि सोमवार, 20 सितंबर 2021 को सुबह 05:28 मिनट से आरंभ होकर मंगलवार, 21 सितंबर 2021 को सुबह 05:24 मिनट पर समाप्त होगी।

हारते-हारते जीत गई चेन्नई सुपर किंग्स, 20 रनों से दी मुंबई को दी मात

OMG: IPL 2021 के बाद विराट कोहली RCB की कप्तानी से भी देंगे इस्तीफा

ITR File की दिनांक बढ़ने के बाद भी देना होगा अधिक ब्याज, जानिए क्यों?

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -