बंगाल हिंसा: 'TMC के लोग ही अपने कार्यकर्ताओं की हत्या कर रहे..', सीएम ममता के विधायक अब्दुल करीम ने हाईकमान को दी चेतावनी
बंगाल हिंसा: 'TMC के लोग ही अपने कार्यकर्ताओं की हत्या कर रहे..', सीएम ममता के विधायक अब्दुल करीम ने हाईकमान को दी चेतावनी
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में हाल में संपन्न हुए पंचायत चुनाव के दौरान भारी हिंसा और रक्तपात देखने को मिला था। इसमें 50 से अधिक लोगों की मौत होने की खबर सामने आईं थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें से मतदान के पहले दिन से विगत रविवार तक 47 लोग मारे गए, वहीं, मतदान से पहले 19 लोगों की मौत हुई थी। इस हिंसा में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के भी कार्यकर्ता मारे गए हैं। इसी पर अब सीएम ममता बनर्जी की पार्टी TMC में बवाल बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। दरअसल, इस्लामपुर सीट से TMC विधायक अब्दुल करीम चौधरी ने पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत पर नाराज़गी जाहिर की है, साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी दी है।

रिपोर्ट के अनुसार, अब्दुल करीम चौधरी ने TMC कार्यकर्ताओं की मौतों पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि TMC का ही एक धड़ा, पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या कर रहा है। अब्दुल करीम चौधरी ने कहा कि यदि ऐसे ही जुल्म जारी रहा, तो हम बंगाल विधानसभा में लाए जाने वाले किसी भी बिल पर TMC का समर्थन नहीं करेंगे। बता दें कि, ये पहली बार है, जब बंगाल में चुनावी हिंसा में पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत पर सत्तारूढ़ TMC में ही नाराजगी देखी जा रही है। 

बंगाल और हिंसा का पुराना इतिहास:-

बता दें कि, बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है, ये तब भी होती थी, जब वहां CPM का शासन था, जब ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) वहां अपनीं जड़ें जमानें की कोशिश कर रही थी और भाजपा का कोई नामोनिशान नहीं था। बीते दिनों बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के दौरान हुई हिंसा के डर से 133 लोगों ने पलायन कर पड़ोसी राज्य असम में शरण ली है, इनमे से अधिकतर भाजपा-कांग्रेस और लेफ्ट के कार्यकर्ता हैं। वहीं, BSF के के DIG सुरजीत सिंह गुलेरिया ने कहा था कि मतदान के दौरान संवेदनशील बूथों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्होंने बंगाल चुनाव आयोग से ऐसे इलाकों की सूची मांगी थी, जहाँ हिंसा भड़कने की आशंका हो, लेकिन उन्हें वो सूची नहीं दी गई। 

बता दें कि इसके पहले विधानसभा चुनाव के दौरान भी हिंसा के शिकार हुए हज़ारों लोगों ने असम में जाकर शरण ली थी, जिसमे अधिकतर भाजपा कार्यकर्ता थे। इसे लेकर राज्य की सियासत में काफी हंगामा मचा था। यहाँ तक कि, सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल हुई थी कि, बंगाल चुनाव के दौरान 1 लाख लोगों ने पलायन किया है। रामनवमी पर बंगाल में हुई हिंसा और शोभायात्रा पर हुए हमलों पर केंद्र की फैक्ट फाइंडिंग टीम बंगाल पहुंची थी, लेकिन उन्हें पीड़ितों से मिलने ही नहीं दिया गया। जिसके बाद कोलकाता हाई कोर्ट ने NIA को जांच सौंपी थी, लेकिन NIA ने अदालत को बताया था कि, बंगाल सरकार और पुलिस उन्हें हिंसा से संबंधित दस्तावेज और जानकारी ही नहीं दे रही है, जिससे जांच अटकी हुई है। इस तरह ये मामला भी ठंडे बास्ते में चला गया था, हालाँकि हाई कोर्ट ने खुद यह स्वीकार किया था कि, शोभायात्रा पर हमला एक सुनियोजित साजिश थी और ईंट-पत्थर पहले ही छतों पर जमा कर लिए गए थे। वहीं, इस हिंसा के लिए भी सीएम ममता बनर्जी ने विरोधी दलों को ही दोष दिया था। 

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