Apr 15 2016 08:16 AM
बकरी के दूध में गाय के दूध से दोगुनी मात्रा में स्वास्थ्यवर्धक फैटी एसिड पाए जाते हैं. बकरी के दूध में प्रोटीन के अणु गाय के दूध से भी सूक्ष्म होते हैं. इसके कारण यह दूध कम गरिष्ठ होता है और गंभीर रोगी भी इसे पचा सकता है. गाय का दूध किसी बच्चे के पेट में पचने में जहां आठ घण्टे लेता है, वहीं बकरी का दूध मात्र 20 मिनट में पच जाता है.
जो व्यक्ति लैक्टोज को पचाने की पूर्ण क्षमता नहीं रखते हैं वह बकरी का दूध आसानी से पचा लेते हैं, बकरी का दूध अपच दूर करता है और आलस्य को मिटाता है. इस दूध में क्षारीय भस्म पाए जाने के कारण आंत्रीय तंत्र में अम्ल नहीं बनाता. थकान, सिर दर्द, मांस पेशियों में खिंचाव, अत्याधिक वजन आदि विकार रक्त, अम्लीयता और आंत्रीय पीएच के स्तर से संबंध रखते हैं.
बकरी के दूध से म्यूकस नहीं बनता है. पीने के बाद गले में चिपचिपाहट भी नहीं होती. मानव शरीर के लिए जरूरी सेलेनियम तत्व बकरी के दूध में अन्य पशुओं के दुग्ध से ज्यादा होता है. एचआईवी आदि रोगों में इसे कारगर माना जाता है. इसमें आने वाली विशेष गंध इसके औषधीय गुणों को परिलक्षित करती है.
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