दिल्ली से लेकर इंदौर तक के भिखारियों का होगा कल्‍याण, 200 करोड़ खर्च करेगी सरकार!
दिल्ली से लेकर इंदौर तक के भिखारियों का होगा कल्‍याण, 200 करोड़ खर्च करेगी सरकार!
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नई दिल्ली: हम सभी आए दिन सड़क पर गुजरते हुए, किसी सफर में, मंदिरों के आसपास और अन्य जगहों पर आपको बड़ी संख्या में भिखारी को देखते हैं जो एक-एक रुपए के लिए मोहताज होते हैं। ऐसे में कभी कोई 2-5-10 रुपये दे देता है और उन नि:सहाय, गरीब, लाचारों की मदद कर देता है। अब तक सरकार की तरफ से भी भिखारियों के कल्याण के लिए प्रयास किए गए हैं और अब एक बार फिर एक बड़ा प्रयास किया जा रहा है। जी दरअसल अब केंद्र सरकार ने भिखारियों के कल्‍याण के लिए SMILE यानी सपोर्ट फार मार्जिनलाईज्ड इनडिविजुअल्स फार लाइवलीहुड एंड इंटरप्राइज योजना के नए चरण की शुरुआत की है। मिली जानकरी के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से भिखारियों के पुनर्वास और आजीविका के लिए उपाय किए जाएंगे। अब हम आपको बताते हैं विस्तार से इस योजना के बारे में।

रहना-खाना, चिकित्सा, पढ़ाई-लिखाई, ट्रेनिंग, फ्री- जी दरअसल सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से भिक्षावृत्ति में लगे लोगों का पूरी तरह से पुनर्वास किया जाएगा। आने वाले 10 साल तक उनके रहने-खाने से लेकर पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य और स्किल ट्रेनिंग का पूरा खर्च मंत्रालय उठाएगा। इस समय पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस योजना के तहत दिल्ली समेत देश के 10 बड़े शहरों को भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए तैयारी हुई है। मिली जानकारी के तहत चयनित 9 शहरों में भिखारियों की सही संख्या पता लगाने के लिए सर्वे हो चुका है। सर्वे के अनुसार महिला और बच्चों समेत दिल्ली में इनकी संख्या 20 हजार से अधिक है।

पायलट प्रोजेक्ट में कौन से शहर हैं शामिल- पहले चरण में दिल्ली समेत जिन 10 शहरों के नाम है वह मुंबई, पटना, इंदौर, चेन्नई, बेंगलुरु, नागपुर, हैदराबाद, लखनऊ और अहमदाबाद है। इनमे सबसे पहले अहमदाबाद की जगह कोलकाता का नाम शामिल था, लेकिन बंगाल की ममता सरकार ने असहयोग का हवाला दिया जिसके चलते केंद्र ने कोलकाता को इस पायलट प्रोजेक्ट से अलग कर दिया।

अगले 5 वर्ष में 200 करोड़ रुपये खर्च- मंत्रालय का कहना है आने वाले 5 साल में इस पूरी योजना पर 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी के साथ ही भिखारियों के पुनर्वास पर 10 साल का समय दिया जाएगा। जी दरअसल मंत्रालय का यह मानना है कि जब तक उनके रहन-सहन की आदतें पूरी तरह से नहीं बदलेंगी, तब तक वे भिक्षावृत्ति का रास्ता नहीं छोड़ेंगे। 

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