मंगल देव को मनाना हो तो कर लें भात पूजन
मंगल देव को मनाना हो तो कर लें भात पूजन
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धार्मिक और ज्योतिष मान्यता के अनुसार बहुत ही महत्व रखती है। इस जन्म कुंडली में विभिन्न 12 ग्रह अलग-अलग स्थितियों या घर में होते हैं, ऐसे में इनका जातक पर अलग प्रभाव पड़ता है। ऐसे में मंगल ग्रह या मंगल देव भी अलग-अलग भाव में अलग-अलग फल देते हैं। मंगल यदि जन्मकुंडली में 5 वें, 12 वें आदि स्थानों पर हो तो जन्मकुंडली में जातक मांगलिक होता है। ऐसे जातक को विवाह में देरी का सामना करना पड़ता है। दरअसल मंगल को भूमि, विवाह, संतान, नौकरी आदि का कारक माना जाता है।

जातक के मांगलिक होने पर कई बार उसका भाग्योदय देरी से होता है, ऐसे में जातक के लिए मंगल ग्रह के प्रभाव को शांत करवाने के लिए मंगल पीड़ा या दोष का निवारण करवाना पड़ता है। यह एक तरह की ज्योतिषीय मान्यता है। दरअसल मंगल दोष कोई दोष नहीं होता है। मंगल दोष को भाषा के तहत दोष कहा जाता है। वस्तुतः यह अपने तरह का एक भाव होता है। यही नहीं भगवान मंगल जातक की जन्मकुंडली में अलग - अलग प्रभाव प्रदान करते हैं।

मंगल दोष के निवारण के लिए यूं तो कई तरह के प्रभाव बताए जाते हैं लेकिन सबसे उत्तम भात पूजन होता है। यह भात पूजन केवल मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में होता है, यहां पर मंगलनाथ मंदिर प्रतिष्ठापित है। श्री मंगलनाथ मंदिर और इसी के समीप प्रतिष्ठापित श्री अंगारेश्वर महादेव मंदिर में भात पूजन होता है। अन्य कहीं भी भात पूजन नहीं होता है, मान्यता है कि भात पूजन के बाद मांगलिक जातक के दोष नष्ट हो जाते हैं, अर्थात उसकी जन्मकुंडली में मंगल दोष होता है तो उसका निवारण होता है और उसे अभिष्ट की प्राप्ति होती है।

भात पूजन लड़की और लड़के दोनों का होता है, भगवान मंगलदेव को कुमकुम, लाल वस्त्र, लाल पुष्प, आदि से पूजन कर फिर मंदिर में तैयार भात से श्रृंगारित किया जाता है, यह भात शिवलिंग स्वरूप श्री मंगलनाथ पर जातक और पंडितों द्वारा चढ़ाया जाता है। भात पूजन के बाद जातक का शीर्घ विवाह होता है। उसे नौकरी आदि में जो परेशानियां होती हैं वे सभी कष्ट दूर होते हैं। मंगल दोष से निवारण के लिए ऊॅं भौमाय नमः मंत्र का जप भी अच्छा होता है। इस मंत्र का भात पूजन के दौरान मनन करने से अच्छा फल प्राप्त होता है। 

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