नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ग्राहकों के हित में एक परिपत्र जारी किया गया है जिसके अनुसार यदि बैंक की असावधानी, लापरवाही या गलती से बैंक फ्राड या फर्जी लेनदेन से ग्राहक धोखे का शिकार होता है तो उसके लिए ग्राहक जिम्मेदार नहीं होगा.साथ ही इससे होने वाले नुकसान की भरपाई बैंक करेगा.
इस प्रस्ताव के मुताबिक यदि ऐसा कोई भी लेनदेन जिसमें ग्राहक की कोई भागीदारी नहीं है और उसके साथ बैंकिंग लेनदेन में फ्रॉड हुआ है तो इसमें उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी और इससे होने वाले नुकसान की भरपाई बैंक करेगा. देश में फर्जी कॉल के जरिये बैंकों में बढ़ रही धोखाधड़ी की घटनाओं को देखते हुए हीआरबीआई की ओर से यह प्रस्ताव इन्ही की समीक्षा के लिए लाया गया है.
परिपत्र में उल्लेखित ड्राफ्ट के अनुसार ऐसे लेनदेन जहां किसी ग्राहक की भागीदारी स्पष्ट तौर पर सिद्ध नहीं होती है तो ऐसी स्थिति में ग्राहक का अधिकतम दायित्व 5000 रुपए तक का होगा, लेकिन ऐसी स्थिति में यह ध्यान रखना होगा कि ग्राहक को इस बावत अपनी शिकायत बैंक में फ्रॉड होने के 4 से 7 दिनों के अंदर करवानी होगी. यदि ग्राहक 7 दिनों के बाद ऐसी कोई शिकायत बैंक में करता है तो बैंक के बोर्ड से अप्रूव्ड पॉलिसी के हिसाब से इस पर निर्णय लिया जाएगा.
इस परिपत्र में यह भी कहा गया है कि यदि ग्राहक बैंक में अपने साथ हुई गड़बड़ी की शिकायत करता है तो इस गड़बड़ी में जिस रकम का हेरफेर है वह बैंक को 10 दिनों के भीतर ग्राहक के खाते में क्रेडिट करना चाहिए. बैंकिंग फ्रॉड में ग्राहक की भागीदारी है या नहीं इसका निर्णय बैंक ही करेगा. ग्राहक की शिकायत का निपटारा 90 दिनों के भीतर करना होगा.
साथ ही यदि यह शिकायत क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से जुड़ी है तो बैंकों को यह भी तय करना होगा कि इस अवधि का ब्याज ग्राहकों को न लगाया जाए. बैंकों को अपने ग्राहकों को इलैक्ट्रॉनिक बैंकिंग ट्रांस्जैक्शन के लिए रजिस्ट्रर कराने के लिए अनिवार्य रूप से कहने का आग्रह किया गया है जिससे उन्हे ईमेल या मैसेज के जरिए हर छोटे बड़े लेनदेन की जानकारी मिल सके.