आखिर क्यों होता है ऐतिहासिक कहानियों के फिल्मांकन में बदलाव
आखिर क्यों होता है ऐतिहासिक कहानियों के फिल्मांकन में बदलाव
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भारतीय दर्शकों को नई रीलीज़ होने वाली फिल्म और उसके पहले शो का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। यूं तो भारतीय दर्शक एक्शन, स्टंट और रोमांस से भरपूर फिल्में देखने में रूचि लेते हैं मगर इन दर्शकों का उत्साह इतिहास के पन्नों से निकली कहानियों में भी बना रहता है। हालांकि इन फिल्मों को भी एक्शन, रोमांस, ट्रेजडी और कई बार प्रेम त्रिकोण का सहारा भी लेना पड़ता है। फिल्म तभी चल पाती है। मगर किसी भी एतिहासिक फिल्म की रिलीज़ से पहले उसे लेकर विवाद होने लगते हैं।

दरअसल फिल्मकार और निर्माता निर्देशक भारतीय दर्शकों की मानसिकता को भलींप्रकार समझते हैं। इन फिल्मों को परिवार भी देखता है दूसरी ओर इनमें ऐतिहासिक तथ्यों का ध्यान भी रखना पड़ता है मगर लोकप्रियता के लिए इन तथ्यों में फेरबदल कर दिए जाते हैं। यह फिल्म में रोमांच भरने और लोगों का ध्यान खींचने के लिए जरूरी भी होता है। हालांकि तथ्यों में उतना बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

जिससे मूल कहानी ही परिर्तित हो जाए। हिंदी सिनेमा की आने वाली फिल्म बाजीराव मस्तानी ऐतिहासिक रोमांच पर आधारित है। इस फिल्म में पेशवा बाजीराव के मस्तानी पर प्रेम के साथ ही काशीबाई के किरदार को भी फिल्माया जा रहा है। मगर अपनी रिलीज़ से पहले ही यह फिल्म विवादों से घिर गई है। आखिर इस फिल्म पर इतना विवाद क्यों किया जा रहा है। दरअसल यह विवाद फिल्म में चित्रित किए गए गीत पिंगा के दृश्य पर हुआ है जिसमें पेशवा बाजीराव के वंशजों ने आपत्ती ली कि काशीबाई और मस्तानी ने एक साथ नृत्य नहीं किया है।

इसे फिल्म से संपादित किए जाने की मांग भी की गई मगर रिलीज़ पर क्या होता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। इसी तरह का विवाद फिल्म देवदास के सिक्वल को लेकर भी हो सकता था। हालांकि देवदास एक ऐतिहासिक पात्र नहीं था। मगर इस फिल्म में एक बड़े घर की बेटी को एक वेश्या के साथ नृत्य करते हुए फिल्माया गया था। जिस दौर का यह चरित्र फिल्म में गढ़ा गया था उस दौर में वेश्याऐं सामाजिक तौर पर खुले में सामने नहीं आती थीं मगर इस फिल्म में इस तरह का चित्रांकन कर फिल्म निर्माता ने साहस दिखाया था।

यह फिल्म को हिट करने और गीत के लिए फिल्माए गए दृश्य को हिट करने की मांग थी। लिहाजा फिल्म निर्देशक ने यह निर्णय लिया। फिल्म जोधा अकबर को लेकर भी उसकी रिलीज़ से पहले ही विवाद किया गया। ऐसे में बाजीराव मस्तानी पर भी चर्चाऐं चल पड़ी हैं। संभव है आज के दर्शकों को बांधने में एतिहासिक कहानियां पूरी तरह से सफल न हो पाती हों जिसके कारण फिल्म में रोमांच और गीतों और उनके फिल्मांकन का आकर्षण बिखेरने के लिए विरोधाभासी कार्य करना पड़ता है।

इससे फिल्म को खासी लोकप्रियता भी मिलती है। यही नहीं गीतों और कहानियों में अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को उन दृश्यों में प्रस्तुत करने की मांग अभिनय, प्रस्तुतिकरण और दर्शकों को बांधने के ज़रिए को लेकर भी रहती है। जिसके कारण ऐतिहासिक तथ्यों में आंशिक बदलाव करने की जरूरत महसूस होने लगती है। 

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