गरीबी हो या आपातकाल., कर्तव्यपथ से कभी नहीं डिगे मोदी.., पढ़ें उनके जीवन की 3 प्रेरणादायी कहानियां
गरीबी हो या आपातकाल., कर्तव्यपथ से कभी नहीं डिगे मोदी.., पढ़ें उनके जीवन की 3 प्रेरणादायी कहानियां
Share:

नई दिल्ली: आपसे कोई पूछे कि 17 वर्ष की आयु में बच्चे अकसर क्या करते हैं। आपका उत्तर होगा मौज-मस्ती, दुनियादारी से बेखबर। लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए यह बात फिट नहीं बैठती। 17 वर्ष की अवस्था में जब युवाओं के खेलने-कूदने के दिन होते हैं, उस अवस्था में नरेंद्र मोदी ने कुछ असाधारण करने का फैसला कर लिया। आयु के इसी पड़ाव पर नरेंद्र मोदी ने घर-बार छोड़ने और सन्यस्त जीवन गुजराते हुए देश भ्रमण का निर्णय कर लिया है। मकसद था देश और समाज के जर्रे-जर्रे को जानना। जिसमे वे कामयाब भी हुए और देसी समाज को जानने-बूझने के उपरांत आज वे प्रधानमंत्री के तौर पर सेवा दे रहे हैं। तो चलिए जानते है उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारें में।।।।

1-‘कर्तव्य पथ’ पर अकेले यात्रा: 17 वर्ष का बेटा घर से विदा होना चाहता हो, तो उसके मां-बाप पर क्या बिताती होगी, इसका अंदाजा लगाना आसान है। मां-बाप सीने से बेटे को लगाकर न जाने की दुहाई दे रहे है। लेकिन नरेंद्र मोदी की प्रबल इच्छा को देखते हुए उनके माता-पिता ने अपने बेटे की इच्छा को स्वीकार कर लिया था। उस दिन की तैयारी होने लगी जब नरेंद्र मोदी झोला उठाकर घर से निकलने जा रहे थे। खास मौकों पर बनाई जाने वाली मिठाई नरेंद्र मोदी के लिए बनाई गई ताकि वे साथ ले जा सकें। उनके माथे पर परंपरागत तिलक लगाया गया और माता-पिता ने अपने बेटे को विदा किया।

2- आपातकाल और नरेंद्र का​ आंदोलनकारी स्कूटर: नरेंद्र मोदी के संबोधनों में आपातकाल की सबसे अधिक बातें होती रही है। देश में उस वक्त सबसे अधिक उबाल था। लोगों में बेतहाशा गुस्सा था और चूंकि नरेंद्र मोदी देश की नब्ज पहले ही भांप चुके थे, वे आपातकाल के आंदोलन में जी-जान से जुट गए। आपातकाल के वक़्त नरेंद्र मोदी ने ऐसे कई काम किए जिसका वर्णन हमेशा ही होता रहता है। उस वक्त की एक कहानी बहुत दिलचस्प है। narendramodi।in के मुताबिक, …मोदी एक स्कूटर पर सवार होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता को एक सुरक्षित घर में ले गए थे। इसी प्रकार, एक बार यह बात सामने आई कि हिरासत में लिए गए नेताओं में से एक गिरफ्तारी के समय अपने साथ कई महत्वपूर्ण कागजात ले जा रहे थे। वे कागजात किसी भी कीमत पर पुनः प्राप्त किए जाने वाले थे।

3-वकील साहेब की छाप: तब नरेंद्र मोदी की उम्र 20 वर्ष थी जब वे अहमदाबाद पहुंचे थे RSS से जुड़ने के लिए। इसी आयु में नरेंद्र मोदी RSS से जुड़े। उनके समर्पण और संगठन कौशल ने वकील साहेब को सबसे अधिक प्रभावित कर दिया गया है। इसका परिणाम हुआ कि 1972 में नरेंद्र मोदी RSS प्रचारक बन गए और अपना पूरा वक्त इस संगठन को देने लगे। इसी दौर में उनके कठिन परिश्रम का सिलसिला शुरू हुआ जो अभी तक चलता हुआ आ रहा है। साथी प्रचारकों के साथ रहना और भोजन-आवास आदि साझा करना, दैनिक जीवन का भाग बन गया। सुबह 5 बजे से शुरू हुई दिनचर्या रात को समाप्त हो जाती है। इसी कठिन परिश्रम में उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी क्योंकि उनके लिए पढ़ाई सर्वोपरि थी।

जो बाबा साहेब अंबेडकर ने सोचा, उसे पीएम मोदी ने पूरा किया - अनुराग ठाकुर

दलित बहनों की मौत पर 'जातिगत' नफरत फैलाना चाहती थीं सबा नकवी, पर जब आरोपियों का नाम देखा तो..

अब अयोध्या में कदम रखते ही सुनाई देंगे लता मंगेशकर के भजन, रामनगरी पहुंची 14 टन की वीणा

 

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -