मथुरा हिंसा के बारे में 80 बार सरकार को चेताया लेकिन किसी ने नहीं सुना
मथुरा हिंसा के बारे में 80 बार सरकार को चेताया लेकिन किसी ने नहीं सुना
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लखनऊ : मथुरा हिंसा के मामले में एक टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन ने उतर प्रदेश सरकार के सभी दावों की पोल खोल दी है। इंटेलीजेंस ने 80 बार जवाहर बाग में हिंसा की आशंका के मद्देनजर सरकार को रिपोर्ट भेजी है। इसके बावजूद शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

स्टिंग में मथुरा के एलआइयू इंस्पेक्टर ने बताया कि रामवृक्ष यादव के साथ ही उसके सभी गुर्गो की भी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को दी गई थी। घटना के एक दिन पहले ही मामले की आशंका जाहिर करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई थी। 2 जून को मथुरा में हुई हिंसा में दो पुलिस अधिकारी सहित 29 लोगों की मौत हो गई।

इस स्टिंग में बताया गया है कि कैसे जवाहर बाग के 280 एकड़ जमीन पर पहले कब्जी किया गया और धीरे-धीरे यही हिंसा का कारण बनता गया। उतर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव हिंसा के बाद से ही कहते आए है कि घटना इंटेलीजेंस के फेल्योर के कारण हुआ है।

जब कि स्टिंग में साफ कहा जा रहा है कि सरकार को पल-पल की जानकारी दी गई थी, लेकिन सरकार ने इस पर संज्ञान नहीं लिया। 2012 से मथुरा में तैनात इंटेलीजेंट्स यूनिट के प्रमुख मुन्नी लाल गौर ने बताया कि हमने एक-दो नहीं बल्कि 80 बार इस बारे में सरकार को बताया था।

उन्होने कहा कि हमारे सब लिखा हुआ है। इन सबमें डीओ लेटर और नोट्स होते है। 250-300 पन्नों की रिपोर्ट भेजी जाती थी। हर माह में चार-पांच बार भेजे। जब-जब जैसी परिस्थिति हुई, तब-तब मैं लिखता रहा। स्टिंग में गौर ने वो रिपोर्ट भी दिखाई, जिसे लखनऊ भेजा गया था।

रिपोर्ट में उन्होने लिखा है कि ये लोग अवैध असलहे भी रखे हुए है, जिसका समय आने पर प्रयोग करेंगे। जवाहर बाग के सत्याग्राही उतेजित और प्रशासन से लड़ने को तैयार बैठे है। यदि यहां पर्याप्त संख्या में पुलिस बल के साथ तैनाती नहीं की गई तो ये पुलिस पर हावी हो सकते है।

1 जून को गौर ने यह रिपोर्ट मथुरा के डीएम, एसएसपी व गृह सचिव को भेजी थी। इस रिपोर्ट को डीएम ने शासन को भेजा था। गौर ने बताया कि जवाहर बाग की खरबों रुपए की जमीन को रामवृक्ष को लीज पर देने का खेल चल रहा था। रामवृक्ष के गुर्गे खुलेआम तमंचा लेकर घूमते थे।

लेकिन मथुरा पुलिस को जवाहर बाग में केवल पहरेदारी का जिम्मा दिया गया था। उन्होने बताया कि नेता से लेकर अपराधी तक रामवृक्ष से मिलने आते थे। जवाहर बाग में फल और सब्जी उगाने का ठेका लेने वाले नारायण सिंह ने बताया कि वो जगह अपराधियों का गढ़ बन गया था।

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