जीवन की शान्ति भंग करने का हक़ न दे किसी को
जीवन की शान्ति भंग करने का हक़ न दे किसी को
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हम सभी अपने मूड की चाबी अक्सर दूसरों के हाथों में दे दिया करते हैं। परिस्थितियाँ अगर अनुकूल हैं तो मूड ठीक रहता है, ख़ुश रहते हैं और अगर परिस्थिति ठीक नहीं, प्रतिकूल हैं अर्थात मन मुताबिक़ नहीं हैं तो फ़िर जीवन की सारी शान्ति भंग कर लेते हैं । नकारात्मक विचारों से जीवन को भर लेते हैं, उदासीनता को अपना लेते हैं। किसी ने ज़रा सी बात कह दी कि अपना मूड ऑफ़ कर लेते हैं, इसका मतलब तो ये हुआ कि आपने अपने मूड की चाबी तो दूसरे लोगों के हाथों में दे रखी है।

लेकिन अपने मूड की चाबी दूसरों के हाथों में सौपना समझदारी नहीं बल्कि मूर्खता है। जैसे कोई अपनी तिजोरी की चाबी अगर किसी दूसरों के हाथों में सौंप दें तो उसको क्या कहेंगे ? समझदार या मूर्ख ?
क्या ऐसा व्यक्ति चैन की साँसें ले पायेगा ? क्या वह शान्ति से जी पायेगा ? नहीं न 

तो आपके उस तिजोरी से भी कीमती है आपके जीवन की शान्ति। इसलिये आप हमेशा ख़ुश रहिये, शांत बने रहिये, साक्षी बने रहिये, क्यूं कि परिस्थिति आपके काबू में नहीं लेकिन आपका मन तो आपके वश में है।
तो आप सभी अपने मन को सदैव सकरात्मक सोच से बदलने का निरंतर अभ्यास करते रहिये ! और अपनी चाबी ख़ुद ही के पास रखिए ! वो चाबी है सकरात्मक सोच ! और सदा, हर स्थिति में ख़ुश बने रहिये मुस्कुराते रहिये। निश्चिंत रहिए ! स्वस्थ रहिए !

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