अनंत चतुर्दशी के दिन हाथ में जरूर बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र, हर कष्ट होगा दूर
अनंत चतुर्दशी के दिन हाथ में जरूर बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र, हर कष्ट होगा दूर
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अनंत चतुर्दशी का पर्व हर साल मनाया जाता है और इसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। जी दरअसल इस दिन गणपति विसर्जन के साथ गणेशोत्‍सव पर्व समाप्‍त होता है। करीब 10 दिन अपने भक्‍तों के साथ रहने के बाद भगवान गणेश इस दिन अपने लोक को वापस लौट जाते हैं। आप सभी को बता दें कि अनंत चतुर्दशी का दिन गणेश पूजा-विसर्जन के अलावा भगवान विष्‍णु की पूजा के लिए भी बेहद खास है। जी हाँ और यह तिथि विष्‍णु जी को समर्पित है। कहते हैं इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा करना, व्रत रखना, कथा पढ़ना बहुत शुभ फल देता है। इसी के साथ ही इस दिन 14 गांठ वाला विशेष रक्षासूत्र जरूर धारण करना चाहिए। आपको बता दें कि भगवान विष्‍णु की कृपा से यह रक्षासूत्र जीवन की हर बाधा दूर कर देता है। 

अनंत चतुर्दशी तिथि व शुभ मुहूर्त- भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि 8 सितंबर, गुरुवार की रात 09:02 बजे से शुरू होकर 9 सितंबर, शुक्रवार शाम 06:07 बजे तक रहेगी। वहीं उदयातिथि के अनुसार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा, व्रत करने का बहुत महत्‍व है। इसी के साथ ही अनंत चतुर्दशी की कथा भी जरूर पढ़नी चाहिए। कहा जाता है ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

हाथ में बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र- अनंत चतुर्दशी की व्रत-पूजा के अलावा इस दिन एक उपाय जरूर करें। अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र हाथ में बांधें, इसे बांधने से जीवन की सारी बाधाएं-कष्‍ट दूर होते हैं। कहा जाता है अनंत सूत्र हर काम में सफलता दिलाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु को अर्पित किया जाने वाला यह 14 गांठों का रक्षासूत्र 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करता है। जी दरअसल अनंत चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से इसे बांधने और व्रत-पूजा करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 

ऐसे धारण करें अनंत चतुर्दशी पर अनंत सूत्र- अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें। उसके बाद मंदिर जाकर या घर पर पूजा करें। अब आप एक कलश स्थापित करके उस पर धतु का पात्र रखकर भगवान अनंत की स्थापना करें। जी दरअसल यह भगवान विष्‍णु का ही रूप हैं। उसके बाद सूत या रेशमी धागे को हल्दी और केसर से रंगकर उसमें 14 गांठे लगाकर रक्षासूत्र तैयार करें। इसके बाद आप भगवान को फल, पुष्प, हल्दी, अक्षत और प्रसाद आदि अर्पित करके विधि-विधान से पूजा करें। अंत में अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा पढ़ें और फिर दाएं हाथ में अनंत सूत्र धारण करें।

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