आॅनर कीलिंग के मामले में बुजुर्ग को नहीं मिल रही राहत
आॅनर कीलिंग के मामले में बुजुर्ग को नहीं मिल रही राहत
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आॅनर किलिंग के एक मामले में 92 वर्ष के बुजुर्ग को राहत देने से इन्कार कर दिया है। इस मामले में न्यायालय ने आदेश देते हुए कहा है कि इस व्यक्ति को सजा भुगतना होगी। इस मामले में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस एल नागेश्वर राव की अवकाशकालीन बेंच ने याचिका खारिज कर दी। दोषी पुत्ती को इलाहाबाद उच्चन्यायालय की लखनऊ बेंच में समर्पण करने को कहा। दोषी बुजुर्ग द्वारा कहा गया कि वे काफी बुजुर्ग हो गए हैं। वे अब बिस्तर पर हैं और लाचार हो गए हैं। ऐसे में उन्हें समर्पण छूट देना चाहिए।

मगर इस मामले में न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देकर गलत बताया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट ने आयु पर ध्यान नहीं दिया। इस मामले में फीक्का और स्नेही की मृत्यु हो गई है। दोनों पुत्ती के भाई थे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1979 में फीक्का की विवाहित पुत्री नान्हाकू के भाई सोहन के साथ भाग निकली थी। ऐसे में पुत्ती, फक्का और स्नेही ने 1980 में नान्हाकू की हत्या कर दी।

वर्ष 1982 में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई थी। तीनों ने ही सजा के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी। तीनों को जमानत पर छोड़ दिया गया था। मगर मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और वहां लंबित था। ऐसे में नान्हाकू की मौत हो गई। इसके बाद करीब 34 साल में निर्णय आया। जिसमें इलाहाबादद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने अपील को खारिज करते हुए सजा को बहाल कर दिया था।

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